सोमवार को छत्तीसगढ़ में सुकमा में सीआरपीएफ के सैनिकों पर माओवादियों के घातक हमले में CRPF के 25 जवान शहीद हो गए । यह हाल ही में माओवादियों के सबसे घातक हमले में से एक था, लेकिन नरेन्द्र मोदी सरकार की नजर में आतंकवादी हमला नहीं था।
जनवरी 2016 में, आतंकवादियों ने पठानकोट हवाई अड्डे पर हमला किया और 7 सैन्य कर्मियों को मार दिया। सितंबर 2016 में, 4 आतंकियों ने उरी में भारतीय सेना के ब्रिगेड मुख्यालय पर हमला किया, जिसमें 19 सैनिक शहीद हो गए।
सुकमा में हमला उस समय हुआ जब सीआरपीएफ लगभग दो महीनों से बिना किसी नियमित प्रमुख के काम कर रहा है । पूर्व सीआरपीएफ डीजी दिलीप त्रिवेदी ने एक साक्षात्कार दिया जहां उन्होंने कहा कि जवानों को अधिक बुलेट प्रूफ जैकेट और सुरक्षात्मक हेलमेट दिया जाना चाहिए। उपकरणों की कमी ने राष्ट्रीय सुरक्षा मामलों में गंभीरता की कमी पर प्रकाश डाला।
कश्मीर फिर से उबल रहा है, राष्ट्रीय सुरक्षा के मामले में नरेंद्र मोदी सरकार के प्रदर्शन के बारे में प्रश्न उठ रहे है।
जनता के मनोदशा का परीक्षण करने के लिए, बिजनेस स्टैंडर्ड ने सोशल मीडिया पर एक सर्वेक्षण किया, जिसमें उन्होंने पूछा कि राष्ट्रीय सुरक्षा मोर्चे पर लोगों ने मोदी सरकार के प्रदर्शन का क्या मूल्यांकन किया।
इस सर्वेक्षण के परिणाम अंतिम नहीं हो सकता, लेकिन सुरक्षा के मामले में मोदी सरकार के रिकॉर्ड की सामान्य जनता की धारणा का संकेत मिलता है। 1192 उत्तरदाताओं में से 50% ने कहा कि उनको लगता है कि मोदी सरकार ने बुरा प्रदर्शन किया हैं। 24% ने कहा कि प्रदर्शन औसत था, जबकि शेष 26% ने कहा कि अच्छा था।
Today’s @bsindia poll:
How has the Narendra Modi govt performed in matters of national security?#CRPF #Kashmir #SukmaAmbush— Business Standard (@bsindia) April 25, 2017