अयोध्या में मंदिर था या मस्जिद, 7 साल बाद SC करेगा आज सुनवाई .. क्या है पूरा मामला ,बताते हैं आपको !!

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आखिर 7 साल बाद वो दिन आ ही गया, जब सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले की सुनवाई होने जा रही है. ये मुकदमा इस बात के लिए दायर किया गया है कि फैसला किया जा सके कि अयोध्या में मंदिर था या मस्जिद.

अब जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस. अब्दुल नजीर की बेंच 11 अगस्त को दोपहर दो बजे से इस मामले की सुनवाई करेगी.

30 सितंबर 2010 को आया था हाई कोर्ट का फैसला


इलाहाबाद हाई कोर्ट के तीन जजों की खंडपीठ ने 30 सितंबर 2010 को फैसला सुनाते 2.77 एकड़ जमीन को राम जन्मभूमि को तीन बराबर हिस्सों में राम लला विराजमान, निर्मोही अखाड़ा और सुन्नी सेट्रल वक्फ बोर्ड मे बांटने का आदेश दिया था. फैसले में कहा गया था कि जिस जगह रामलला की मूर्ति है, उसे रामलला विराजमान को दिया जाए. सीता रसोई और राम चबूतरा निर्मोही अखाड़े को दिया जाए. बचे हुए हिस्से को सुन्नी वक्फ बोर्ड को दिया जाए. यह फैसला दो-एक के मत से आया था. इस फैसले से इत्तेफाक न रखते हुए रामलला विराजमान और हिंदू महासभा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की. सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने भी सुप्रीम कोर्ट में हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ अर्जी दाखिल की. मामले में कई और पक्षकारों ने याचिकाएं लगाईं. सुप्रीम कोर्ट ने 9 मई 2011 को हाई कोर्ट के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी. इसके साथ ही यह भी कहा कि मामला लंबित रहने तक संबंधित पक्षकार विवादित भूमि पर यथास्थिति बनाए रखेंगे. रामलला विराजमान की ओर से त्रिलोकी पांडेय मुकदमे की पैरवी करेंगे. हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ रामलला की ओर से सुप्रीम कोर्ट में अपील देवकी नंदन अग्रवाल ने दाखिल की थी. उनकी मौत हो गई, जिसके बाद त्रिलोकी पांडेय पक्षकार बन गए.

शिया वक्फ बोर्ड ने दाखिल किया हलफनामा

शिया वक्फ बोर्ड ने भी सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा देकर कहा है कि अयोध्या में मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई गई थी. इससे पहले 1946 में फैजाबाद की अदालत ने अपने फैसले में बाबरी मस्जिद पर शिया वक्फ बोर्ड की दावेदारी मानने से इनकार कर दिया था. 71 साल पुराने इस फैसले के खिलाफ शिया वक्फ बोर्ड सुप्रीम कोर्ट पहुंचा है और बाबरी मस्जिद पर अपना दावा पेश करते हुए हलफनामे में मंदिर का जिक्र किया है. शिया वक्फ बोर्ड ने हलफनामे में कहा है कि मस्जिद बाबर ने नहीं, उसके मंत्री अब्दुल मीर बाकी ने बनवाई थी और मीर बाकी शिया मुसलमान था. इसलि मस्जिद पर शिया का हक है.

सुब्रमण्यन स्वामी की याचिका पर भी सुनवाई

बीजेपी सांसद सुब्रमण्यन स्वामी की अयोध्या में राम लला की पूजा अर्चना का हक मांगने वाली याचिका पर भी सुप्रीम कोर्ट राम जन्मभूमि मुख्य विवाद के साथ ही सुनवाई करेगा, जो आज दोपहर दो बजे से होगी. कोर्ट के 26 फरवरी 2016 के आदेश के मुताबिक स्वामी की रिट याचिका अर्जी में तब्दील कर दी गई है. उनकी इस हस्तक्षेप अर्जी व स्वयं पेश होकर अपने केस में बहस करने की मांग कोर्ट में लंबित मुख्य मामले के साथ सुनवाई के लिए लगेगी.

पहले भी होती रही है जल्द सुनवाई की मांग


10 मई 2015 को एक पक्षकार ने जल्द सुनवाई की मांग की थी. तब सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जब यह केस रुटीन सुनवाई के तहत आएगा, तो सुनवाई की जाएगी. इस साल सुब्रमण्यन स्वामी ने 21 मार्च को एक बार फिर से जल्द सुनवाई का आग्रह किया, लेकिन 31 मार्च को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने मांग खारिज कर दी. इस दौरान चीफ जस्टिस जेएस खेहर की बेंच ने सुझाव देते हुए कहा था कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशन में बनी कमिटी की देख-रेख में आपसी सुलह से समझौता कर लिया जाए. स्वामी एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंचे. 21 जुलाई को कोर्ट ने कहा कि वह इस बारे में फैसला लेंगे. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर 11 अगस्त को सुनवाई की तारीख तय करने की सूचना दी गई.
साभार:दलल्लनटॉप

 

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