सरकारी खर्च पर मैडम का ‘पब्लिसिटी स्टंट’ !

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प्रदेश की महिला कल्याण राज्य मंत्री इन दिनों साइकिल चलाने का अभ्यास कर रही हैं। सुना है हर दिन मैडम 20 किलोमीटर साइकिल चला रही हैं। वजह यह है कि मंत्री मैडम ने एलान किया है कि वह प्रदेश में ‘बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ’ का संदेश देने के लिये देहरादून से हरिद्वार तक साइकिल रैली निकालेंगी। मंत्री का यह एलान शासन प्रशासन के लिये सरदर्द बना हुआ है। कारण यह है कि यह रैली देहरादून से हरिद्वार तक राष्ट्रीय राजमार्ग से होकर गुजरनी है। मंत्री का कहना है कि रैली में उनके साथ तकरीबन पांच सौ साइकिलें रहेंगी, इसलिये रैली के दौरान हरिद्वार देहरादून राजमार्ग पर यातायात बंद रखा जाए। मंत्री का यह आदेश पुलिस प्रशासन के लिये बड़ी परेशानी की वजह बना हुआ है, क्योंकि इतने लंबे समय तक राष्ट्रीय राजमार्ग पर यातायात बंद रख पाना न तो व्यवहारिक ही है और न ही संभव। इसी मार्ग से बड़े अस्पताल और एयरपोर्ट का यातायात भी गुजरता है, तो वहीं चारधाम यात्रा का भी ट्रैफिक भी रहता है। अफसरों की तमाम मान-मनोव्व्ल नाकाम साबित हो चुकी है। बताते हैं कि मंत्री इस आयोजन को लेकर पूरी हनक में हैं। उन्हें अफसरों का न कोई सुझाव मंजूर है और न ही कोई योजना। पूरे महकमे को इस आयोजन में झोंक दिया गया है। नयी साइकिलों की व्यवस्था से लेकर पूरे रास्ते भर रैली में शामिल होने वालों के लिए खाने-पीने की व्यवस्था और रैली के शुभारम्भ और समापन पर हाने वाले आयोजनों का पूरा खर्च महकमे को करना है। यही नहीं जो साइकिलें यहां से हरिद्वार तक जाएंगी उन्हें फिर ट्रकों में भरकर वापस देहरादून लाया जाएगा। कुल मिलाकर लाखों का खर्चा है लेकिन मंत्री की जिद के आगे सब नतमस्तक हैं।
मंत्री को संभवत: यह लग रहा है कि इस आयोजन के बाद वह देहरादून से दिल्ली तक छा जाएंगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ अभियान का अभी तक का यह सबसे बड़ा और अपनी तरह का अलग आयोजन होगा। उनके इस आयोजन को नेशनल मीडिया तरजीह देगा और वह इसके बाद मोदी की ‘गुड बुक’ में शामिल हो जाएंगी। इस आयोजन के लिये तैयारी भी यह की जा रही है कि सीधे दिल्ली से मीडिया को आमंत्रित किया जाए। यही वजह भी है कि उन्होंने इसके लिये दिन भी 17 सितंबर का चुना। 17 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का जन्मदिन है। दिन विशेष पर होने वाले इस आयोजन को लेकर शासन और प्रशासन बहुत कुछ कहने की स्थिति में नहीं हैं।
बहरहाल आयोजन की बात, मंत्री की तैयारियों तेवरों और रुख से यह साफ है कि मंत्री रेखा आर्य का असल मकसद इस आयोजन से संदेश देना तो कतई नहीं है। यह कार्यक्रम तो लगता है संस्कृति मंत्री के ‘नमो नाद’ कार्यक्रम सरीखा है। यदि रेखा आर्य वाकई बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ का संदेश देना चाहती तो इस आयोजन पर खर्च होने वाली रकम से किसी भी बड़ी आबादी वाले एक गांव की सभी बेटियों की शिक्षा का खर्च उठाया जा सकता था। इतने खर्च से सैकड़ों बेटियों के लिये सुविधाएं जुटाई जा सकती थी। सबसे अहम यह कि मंत्री की मंशा साफ होती तो वह यह आयोजन पिथौरागढ़, चम्पावत या चमोली, उत्तरकाशी जैसे पर्वतीय जिलों में करती, जहां कम से कम आम लोगों के बीच कोई संदेश भी जाता। लेकिन सच यह है कि वहां आयोजन करतीं तो जनता में भले ही संदेश जाता लेकिन मंत्री और एक सियासतदां के तौर पर उन्हें सुर्खियां नहीं मिलती। सवाल यह है कि देहरादून से हरिद्वार के बीच साइकिल चलाकर वह किसे संदेश देंगी ? वह कार्यक्रम तो पूरी तरह से राजनैतिक रंग में रंगा कार्यक्रम होगा। ऐसे कार्यक्रम से कोई संदेश वैसे भी कैसे जा सकता है, जो जनता का परेशानी में डालकर आयोजित किया जा रहा हो ? जहां तक साइकिल रैली के माध्यम से ही संदेश देने का प्रश्न है तो ऐसा कतई नहीं कि मंत्री के देहरादून से हरिद्वार तक पूरे लाव लश्कर के साथ साइकिल से जाने पर प्रदेश में बेटियां पढनी और बचनी शुरू हो जाएंगी। यह तो एक संदेश देने के लिये सांकेतिक कार्यक्रम होते हैं, जिन्हें की सुविधाजनक तरीके से बिना जनता और शासन-प्रशासन को परेशानी में डाले कहीं भी कम खर्च में संपन्न किया जा सकता है। लेकिन उत्तराखंड के विचारशून्य राजनेताओं को न जाने यह समझ क्यों नहीं आता। आज प्रदेश में हो क्या रहा है, मुख्यमंत्री से लेकर मंत्री तक सब जनता के पैसे से सरकारी खर्च पर पब्लिसिटी स्टंट में लगे हैं। इसके लिये या तो किसी का आइडिया कापी पेस्ट करते हैं या फिर मोदी और शाह को खुश करने के लिये उलूल-जुलूल कार्यक्रम तय करते हैं। मंत्री रेखा आर्य का यह कदम भी पब्लिसिटी स्टंट से ज्यादा कुछ नहीं है।

साभार : वरिष्ठ पत्रकार योगेश भटट की फेसबुक वॉल से लिया गया है 

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