आखिर क्यों योगी को करना पड़ रहा है नवरात्र पूजन में बदलाव?

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गोरखपुर ;   इस साल के नवरात्रों में योगी नवरात्र के पहले दिन 21 सितम्बर को गोरखनाथ मंदिर आएंगे और शाम को कलश स्थापना के पश्चात लखनऊ रवाना हो जाएंगे। पुनरू नवमी के दिन 29 सितम्बर को आएंगे और कन्या पूजन एवं बटुक बालक का पूजन कर दूसरे दिन दशमी को लखनऊ रवाना होंगे। इसके पूर्व दशमी के दिन परंपरागत शोभायात्रा के साथ मानसरोवर पोखरा पहुंचेंगे और भगवान शंकर, श्रीराम राम, लक्ष्मण , सीता और हनुमान जी का पूजा अर्चना करेंगे।
जैसा कि हम सब जानते हैं कि सीएम योगी अपने धर्म को लेकर नियमों के कितने पक्के हैं लेकिन इस बार सीएम ने अपने अनुष्ठान में यह बदलाव मुख्यमंत्री के रूप में उनकी व्यस्तता के मद्देनजर किया है। फिलहाल सभी अनुष्ठान मठ के पुरोहित पं. रामानुज त्रिपाठी वेदाचार्य प्रधान पुजारी कमलनाथ के साथ संपंन कराएंगे। 30 सितम्बर को मुख्यमंत्री मानसरोवर में भगवान शंकर, रामलक्ष्मण, सीता, हनुमान की पूजा के बाद मंदिर वापस आकर नवरात्र में स्थापित देवी का विसर्जन करेंगे। उसके बाद साधु, संतो, ब्राह्मण व निर्धनों को भोजन कराने के बाद व्रत का समापन करेंगे।
सीएम बनने से पहले योगी ऐसे करते थे पूजा
सीएम आदित्यनाथ शारदीय नवरात्रे में अपने निवास भवन से नौ दिन तक नीचे नहीं आते थे। दसवें दिन योगी आदित्यनाथ भवन से नीचे आते और गुरु गोरक्षनाथ की विशेष पोशाक में विशेष पूजा-अर्चना करते थे। यूं तो शारदीय एवं चैत्र दोनों ही नवरात्रे में वे नौ दिन व्रत करते हैं। लेकिन शारदीय नवरात्रे उनके लिए खास होता था। आचार्यों द्वारा उनके निवास स्थित मां शक्ति (दुर्गा) मंदिर में सुबह-शाम विशेष पूजा होती और स्वयं योगी आदित्यनाथ आरती करते थे। योगी अष्टमी के दिन शस्त्र पूजन करते जिसमें मंदिर से जुड़े खास लोग ही शामिल हो सकते हैं।
नवमी के दिन योगी हवन-पूजन के बाद 9 कुवांरी कन्याओं और एक भैरव का पांव धोकर पूजन करते थे। सभी को प्रेम से भोजन करा दक्षिणा देकर विदा करते थे।
परंतु इस बार योगी के सीएम बनने से उनकी पूजा प्रक्रिया में बदलाव देखने को मिलेगा।

 

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