स्ट्रोक मतलब एक दबाव, या झटका कहलो, एक ऐसी बीमारी है जिससे मस्तिष्क को नुकसान पहुंचाता है और शरीर का कोई हिस्सा बेकार हो जाता है, लेकिन अगर उचित उपचार समय पर मिल जाये तो इसको कम किया जा सकता है, लेकिन अक्सर लोग इस जानलेवा बीमारी के लक्षण को अन्य बीमारियों की तरह हलके में ले लेते हैं और अक्सर उपचार में देरी हो जाती है। स्ट्रोक के दौरे के बाद हर गुजरते मिनट में आपका दिमाग 19 लाख विचारों से वंचित हो रहा होता है।
ईलाज मिलने में जितनी देरी होगी उतना ही बोलने में समस्या, यादाश्त से वंचित और व्यवहार में परिवर्तन जैसे समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है। स्ट्रोक को जितनी जल्दी हो सके उपचार कर लेना चाहिए, उतना ही इसका ईलाज ज्यादा प्रभावी ढंग से हो पाता है और मस्तिष्क के होने वाले नुकसान उतना ही कम हो जाता है।
ये स्ट्रोक दो प्रकार के होतें हैं, एक में ब्लड फ्लो ब्लाॅक हो जाने के नतीजे में दिमाग को खून की आपूर्ति में कमी हो जाती है, दूसरा किसी खून की धमनी से मस्तिष्क में खून नष्ट होने लगता है। इन दोनों प्रकार के स्ट्रोक के लक्षण समान रूप से होते हैं और हर किसी के लिए यह जानना महत्वपूर्ण है।
लक्षण
बाएं हाथ, पैर या चेहरा सुन हो जाना.
बोलने में में कठिनाई का सामना होने के साथ दूसरों की बात समझ न पाना.
पूर्ण या आंशिक पक्षाघात होना.
एक या दोनों आँखों से देखने में मुश्किल होना.
चेतना खोना और सिर चकराना.
स्ट्रोक की पहचान कैसे करें?
> प्रभावित व्यक्ति से मुस्कराने को कहें ।(अगर स्ट्रोक होगा तो वह ऐसा करने में सक्षम नहीं होगा क्योंकि जबड़े अकड़ जाते हैं)।
> पीड़ित व्यक्ति से कोई भी साधारण शब्द बोलने को कहें। (यदि वह इस बीमारी से पीड़ित होगा तो इसके लिए बोलना भी आसान नहीं होगा)।
> प्रभावित व्यक्ति से कहे कि अपने दोनो हाथ को ऊपर उठाकर दिखाये ।(अगर उसे स्ट्रोक होगा तो वह यह काम आंशिक या पूर्ण रूप से नहीं कर सकेगा।)।
> उन्हें अपनी जीभ को बाहर निकाल कर दिखाने को कहे। (अगर वह अकड़ी हुई हो, या एक से दूसरी तरफ जा रही हो तो यह भी स्ट्रोक का असर हो सकता है)।