जानिए वो बड़ा सच, क्यों शिया मोहर्रम के दिन खुद को कष्ट देते हैं !

0
886

कहने को शिया और सुन्नी दोनों ही इस्लामी ही हैं परंतु फिर भी शिया और सुन्नियों के झगड़े जगजाहिर हैं। ये विवाद इस्लामी इतिहास का सबसे पुराना विवाद है, धर्म एक है, रीति रिवाज भी एक ही हैं लेकिन झगड़े शताब्दियों पुराने हैं।
उत्तराधिकार को लेकर झगड़ा
बड़ी ही हैरानी वाली बात है कि इस विवाद की शुरुआत 632 ईसवी में पैगंबर मोहम्मद की मृत्यु के बाद हुई। उन्होंने अपना उत्तराधिकारी नियुक्त भी नहीं किया था कि उनकी मृत्यु हो गई। इसलिए सवाल खड़ा हुआ कि तेजी से फैलते धर्म का नेतृत्व कौन कर सकता है।
कुछ लोगों का मामना था कि नेता आम राय से चुना जाए जबकि कुछ चाहते थे कि पैगंबर के किसी वंशज को ही खलीफा बनाया जाए। खलीफा का पद पैगंबर मोहम्मद के ससुर और विश्वासपात्र रहे अबु बकर को मिला जबकि कुछ लोग उनके चचेरे भाई और दामाद अली को नेतृत्व सौंपने के हक में थे।
अबु बकर और उनके दो उत्तराधिकारियों की मौत के बाद अली को खलीफा बनाया गया था, लेकिन तब तक दोनों धड़ों में मतभेद बहुत गहरा चुके थे। लेकिन फिर कुफा की मस्जिद में अली को जहर से बुझी तलवार से कत्ल कर दिया गया, अब मौजूदा समय में यह जगह इराक में है।

इस तरह शुरू हुआ सत्ता संघर्ष
अली की मौत के बाद उनके बेटे हसन खलीफा बने, लेकिन जल्द ही उन्होंने विरोधी धड़े के नेता माविया के लिए खलीफा का पद छोड़ दिया. सत्ता संघर्ष में हसन के भाई हुसैन और उनके बहुत से रिश्तेदारों को 680 में इराक के करबला में कत्ल कर दिया गया था।
हुसैन की शहादत उनके अनुयायी का मुख्य सिद्धांत बन गई, हर साल मोहर्रम के महीने में शिया लोग मातमी जुलूस निकालते हैं और उस घटना पर शोक जताते हैं, जुलूस में शामिल लोग अपने आपको कष्ट देते हुए और विलाप करते हुए सड़कों से गुजरते हैं।
वहीं सुिन्नयों का मानना हैं कि अली से पहले पद संभालने वाले तीनों खलीफा सही और पैगंबर की सुन्नाह यानी परंपरा के सच्चे अनुयायी थे। अब्दुलमेजीद द्वितीय आखिरी खलीफा थे. पहले विश्व युद्ध के बाद ऑटोमान साम्राज्य के पतन के साथ ही खिलाफत भी समाप्त हो गई।
शिया और सुन्नी नाम कैसे पड़े
सुन्नाह यानी परंपरा को मानने वाले सुन्नी कहलाए जबकि शियाओं को उनका नाम “शियान अली” से मिला, जिसका अर्थ होता अली के अनुयायी। इस तरह दोनों की धड़ों का मूल एक ही है, लेकिन पैगंबर मोहम्मद के उत्तराधिकार और विरासत पर उनके रास्ते जुदा हो गए।
आबादी
– दुनिया में अब 1.5 अरब से ज्यादा मुसलमान हैं, इनमें 85 से 90 फीसदी संख्या सुन्नी हैं जबकि केवल 10 प्रतिशत शिया हैं संख्या से हिसाब से देखा जाए तो दुनिया भर में सवा अरब से ज्यादा सुन्नी हैं, वहीं शियाओं की तादाद 15 से 20 करोड़ मानी जाती है।
सऊदी अरब, मिस्र और जॉर्डन समेत दुनिया के एक बड़े हिस्से में सुन्नी मुसलमान रहते हैं, वहीं ईरान, इराक, बहरीन, अजरबैजान और यमन में शिया बहुसंख्यक हैं। सुन्नी शासन वाले देशों में शिया अकसर भेदभाव और शोषण की शिकायत करते हैं।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here