पलायन से अछूता नहीं है सीएम योगी और सेना प्रमुख विपिन रावत का गांव!

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ज्यों-ज्यों दवा की गई त्यों-त्यों मर्ज बढ़ता गया। यह कहावत पूरी तरह चरितार्थ होती है उत्तराखंड के पलायन पर। हालांकि पलायन पूरे देश की नहीं विश्व की समस्या है,लेकिन तमाम दावों के बावजूद उत्तराखंड पलायन से मुक्ति नहीं पा रहा है। लगातार बढ़ता पलायन इस बात का संकेत है कि कहीं न कहीं व्यवस्थागत खामियां पलायन को और बढ़ा रही हैं।

सेना प्रमुख विपिन सिंह रावत का गांव सैण

पलायन का दंश झेल रहे पहाड़ के गांवों की हकीकत भारतीय सेना प्रमुख विपिन सिंह रावत के गांव से जुदा नहीं है. पौड़ी जिले की लैंसडाउन तहसील में सैण गांव निवासी जनरल रावत के गांव में कुछ साल पहले तक खूब चहल-पहल हुआ करती थी, लेकिन अब ये गांव धीरे-धीरे खाली होता जा रहा है. खंडहरों में तब्दील हो रहे इस गांव में पसरा सन्नाटा इसके पलायन की कहानी खुद बयां कर रहा है. आज इस गाँव में सुविधाओं के अभाव में केवल कुछ लोग ही रह गए हैं।

सीएम योगी का गांव पंचुर 

वंही पलायन का दर्द झेल रहे उत्तराखंड की इस हकीकत से उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का पौड़ी जिले का गांव पंचुर भी अछूता नहीं है। सात गांवों वाली उनकी ग्राम पंचायत सीला से अब तक 62 परिवार पलायन कर चुके हैं।जब सीला ग्राम पंचायत के सभी गांवों में 155 परिवार निवास कर रहे थे। पलायन के बाद अब इनकी संख्या घटकर 93 पर आ गई है।

उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में पलायन पिछले कुछ सालों में तेजी से बढ़ा है. लचर शिक्षा व्यवस्था और बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं ने पलायन की रफ्तार को बढ़ाने में जहां गाँवों से मदद की है, वहीं रोजगार ने इस छोटे से पहाड़ी से राज्य में पलायन को कई गुना बढ़ा दिया। प्रदेश के कुल 16 हजार 7 सौ 93 गांव में से लगभग 4 सौ के आसपास के गांव पूरी तरह खाली हो गए हैं शेष गांवों में यदि 25 परिवार रहते हैं तो उनमें भी घर के बड़े बुजुर्ग, विशेषकर महिलाएं ही पहाड़ में बचीं हैं। 

एक सर्वे के अनुसार 

2.5 लाख से अधिक घरों में पहाड़ में लटके हैं ताले

3000 गांव पिछले 17 सालों में हुए हैं खाली

1.05 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि हो चुकी है बंजर में तब्दील

30 परिवार हर गांव से कर रहे पलायन 

पलायन का दंश झेल रहे उत्तराखंड में लगातार गहराती इस समस्या को लेकर राज्य सरकार गंभीर हुई है। इस कड़ी में मुख्यमंत्री की घोषणा के अनुरूप प्रदेश में पलायन आयोग का गठन कर दिया गया है। इस सिलसिले में आदेश जारी कर दिए गए हैं। हालांकि, आयोग किस प्रकार कार्य करेगा, इसे लेकर मंथन चल रहा है।

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