भैयादूज पर कहीं भाई को किया जाता है तिलक, तो कहीं दिया जाता है श्राप!

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रक्षाबंधन और भैयादूज दोनों ऐसे त्यौहार हैं जिसमें भाई-बहन का निस्वार्थ प्रेम झालकता है। रक्षाबंधन की तरह ही भैयादूज भी भाई के लिए बहनों की श्रद्धा और विश्वास का पर्व है। इस पर्व को हर साल दिवाली के बाद कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितिया तिथि के दिन मनाया जाता है। भैयादूज पर बहनें-भाइयों को तिलक लगाती और भगवान से भाइयों की लंबी उम्र की कामना करती हैं। लेकिन देश के कई हिस्सों में भैयादूज विशेष परंपरा से मनाया जाता है।


कहीं बहन खिलाती है भाई को बजरी
बिहार में एक ऐसी परंपरा भी है जहां बहनें अपने भाईयों को बजरी खिलाती हैं। माना जाता है कि भाई को बजरी खिलाने से भाई मजबूत बनता है।
भाइयों को आज के दिन कोसती हैं बहनें
कई जगहों पर इस दिन बहनें अपने भाइयों को खूब कोसती हैं उसके बाद अपनी जीभ में कांटा चुभाती हैं और अपनी गलती के लिए भगवान से माफी मांगती हैं। इसके बाद भाई अपनी बहनों को आशिर्वाद देते हैं।
बहनें देती हैं भाई को श्राप
कहानियों की मानें तो राजा पृथु के बेटे की शादी थी। उसने अपनी विवाहिता पुत्री को भी बुलाया। दोनों भाई-बहन में खूब स्नेह था। जब बहन, भाई की शादी में शामिल होने आ रही थी, तो रास्ते में उसने एक कुम्हार दंपति की बातें सुनीं। वे कह रहे थे कि राजा कि बेटी ने अपने भाई को कभी गाली नहीं दी है। वह बारात के दिन मर जाएगा। यह सुनते ही बहन अपने भाई को कोसते हुए घर गई। तभी से भाई को कोसने की परंपरा चली आ रही है।

 

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