डीएम नैनीताल ने बच्चों में खुशियां बांटने की अभिनव पहल की शुरू।

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जाने डीएम नैनीताल ने कौन सी अभिनव पहल की शुरू, जिसने दिया सबको संदेश कि साथी हाथ बढाना
“जरूरी है बच्चों को सिखाना कि बांटने से और बढ़ती हैं खुशियां”
मासूम चेहरों पर खिलखिलाने के लिए बेकरार रहने वाली लाखों की मुस्कान चंद पैसों की कमी से सिमट न जाए और गरीब परिवारों के बच्चे भी अच्छे खिलौनों से खेल सकें। बच्चों में खुशियां बांटने की आदत और चाहत का विकास हो साथ ही राजकीय प्राथमिक विद्यालयों और आगनबाड़ी केंद्रों की स्थिति जनसहयोग से सुदृढ़ हो सकें इस लक्ष्य को सार्थक करने के लिए जिलाधिकारी दीपेंद्र कुमार चौधरी ने आंरभ किया अभियान “साथी हाथ बढ़ाना”।
साथी हाथ बढ़ाना – ये नाम है उस कैंपेन का जिसमें हल्द्वानी के बच्चे कह रहे हैं “मेरे खिलौने- हमारे खिलौने” और “मेरी किताबें-सबकी किताबें”।
बुधबार, 22.11.17 को राजकीय प्राथमिक विद्यालय जवाहर ज्योति, दमुवाढूंगा में डीएम दीपेन्द्र चौधरी ने बच्चों को अपनी चीज़ें मिल-बांट कर उपयोग करने का पाठ पढ़ाया और दीक्षांत इंटरनेशनल स्कूल के विद्यार्थियों की मदद से नन्हे-मुन्ने बच्चों को वितरित किये खिलौने और शिक्षण सामग्री। दीक्षांत इंटरनेशनल स्कूल के विद्यार्थियों द्वारा डीएम दीपेन्द्र चौधरी की पहल पर करीब 2500 खिलोने एकत्रित किये गए।

इस अवसर पर डीएम अंकल ने बच्चों को दिए उनके मनपसंद खिलौने और लुटाया बेपनाह प्यार। जिलाधिकारी अपने साथ बच्चों के लिए चॉकलेट भी लाये थे। डीएम अंकल से खिलौने लेकर बच्चे उछलने-कूदने लगे। अपने बच्चों की खुशियां देखकर सभी शिक्षिकाओं और अभिभावकों ने कहा शुक्रिया डीएम अंकल। जिलाधिकारी के प्रयास और बच्चों के प्रति लगाव की सराहना करते हुवे सभी उपस्थित लोग भावुक होकर कहने लगे कि काश सभी अधिकारी ऐसे होते तो देश की शिक्षा व्यवस्था सुधर जाती।

जिलाधिकारी द्वारा बच्चों से सामान्य ज्ञान के प्रश्न भी पूछे गए एवं सही जवाब मिलने पर चॉकलेट दी साथ ही अपने पसंद का खिलौना चुनने को कहा गया। कक्षा 5 में पड़ने वाली बच्ची मोनिका आर्य को जब डीएम अंकल द्वारा पूछे गए सवाल का सही जवाब देने पर अपनी पसंद का टेडी बियर लेने का मौका मिला तो इतनी खुश हुई कि डीएम अंकल के जाते समय ख़ुशी से रोते हुई बोली कि डीएम अंकल थैंक यू, इतना बड़ा गिफ्ट तो मुझे पहले कभी नहीं मिला।
इस अवसर पर जिलाधिकारी दीपेंद्र चौधरी ने कहा कि बच्चों में शुरू से ही उनमें शेयरिंग और केयरिंग की भावना विकसित की जाए। बच्चों का एक-दूसरे के साथ मिलजुल कर खेलना, खाने-पीने की चीजें आपस में बांटना ये सब बातें देखने में भले ही छोटी लगती हैं, लेकिन उनके व्यक्तित्व के विकास में इन छोटी-छोटी बातों की बहुत अहमियत होती है।
उन्होंने कहा कि जनसहयोग, स्वयंसेवी संस्थाओं, एन.एस.एस., एन.सी.सी. के स्वयंसेवियों की मदद से बच्चों में शेयरिंग और केयरिंग की भावना विकसित करने को एक जनजागरण अभियान चलाने की कोशिश की जाएगी ताकि साझा करने, सहयोग करने, खुशियां बांटने की आदत को हम बच्चों के संस्कारों में ला सकें। इस अभियान मे पब्लिक और कान्वेंट स्कूल्ज को भी सहयोग करने का आग्रह किया जायेगा ताकि सक्षम परिवारों के बच्चों के पुराने सही स्थिति के खिलौने और शिक्षण सामग्री की मदद से ग्रामीण क्षेत्रों के राजकीय प्राथमिक विद्यालयों एवं आंगनवाड़ी केंद्रों में टॉय बैंक एवं बुक बैंक बनाये जा सकें साथ ही राजकीय प्राथमिक विद्यालयों और आगनबाड़ी केंद्रों की स्थिति जनसहयोग से सुदृढ़ हो सकें।
उन्होंने कहा कि मेरा निवेदन है कि अगर कोई व्यक्ति या संस्था नन्हे-मुन्ने बच्चों के लिए खिलौने और शिक्षण सामग्री देकर सहयोग करना चाहते हैं तो सीधे अपने निकट के आंगनबाड़ी केन्द्रों पर भेंट कर सकते हैं।
इस अवसर पर खंड शिक्षा अधिकारी, संकुल प्रभारी एवं दीक्षांत इंटरनेशनल स्कूल की शिक्षिकायें उपस्थित थी।
रिपोर्ट-नीलम नौटिया।

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