अनोखा आश्रम: पत्नियों ने धुतकारा तो इस आश्रम ने मर्दों को दिया सहारा, जानिए!

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अक्सर आपने सुना होगा कि बच्चे बुढ़ापे में माँ बाप को घर से निकाल देते हैं या माता-पिता बच्चे को जन्म देते ही छोड़ देते हैं जिनके लिए देश भर में कितने ही अनाथ आश्रम और वृद्धा आश्रम बने हुए हैं. लेकिन क्या आपने कभी सुना है कि पत्नी पति को घर से निकल देती है या पति भी पत्नी से इतने पीडित होते है कि वह घर तक छोड़ देते हैं. जी हाँ आज हम ऐसे ही एक आश्रम की बात कर रहे हैं जहाँ उन मर्दों को सहारा दिया जाता है जो अपनी ही पत्नियों से पीड़ित होते हैं और उनको घर से निकाल दिया जाता है. औरंगाबाद में स्थित पत्नी के सताएं मर्दों को सहारा देने का कार्य करने वाला यह आश्रम पत्नी से पीड़ित पतियों को सहायता देने का कार्य करता है. इस संघ का कार्य पत्नी द्वारा सताये हुए मर्दों को आश्रय देकर उन्हें संभालना है. और इस संघ का नाम पत्नी उत्पीड़न संघ रखा गया है.

नेत्र ज्योति संस्था के संस्थापक एवं समाजसेवी दीपक गोयल का कहना है  कि हमारे पास कई बार ऐसे मामले आते हैं. जिनमें कानून का भय दिखाकर उनकी पत्नियां पुरूषों को प्रताड़ित करती हैं. हमारे देश में ऐसे कानून कम है जो इस तरह के पुरुषों को बचाते हैं. अक्सर देखा जाता है कि ऐसे मामले में पुरुष से ज्यादा महिलाओं की शिकायत को तबज्जू दिया जाता है.

 

एनसीआरबी यानि नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ो की मानें तो साल 2014 में पति के अत्याचार की शिकार पत्नियों के 1 लाख 22 हजार 877 मामले सामने आए. हालांकि, इस तरह के आपराधिक आंकड़े इकट्ठा करने वाली इस संस्था के पास पतियों पर पत्नियों के अत्याचार के आकंडे मौजूद नहीं है,जो ये बात साबित करती है कि इस तरह के मामलों को कोई भी गंभीरता से नहीं लेता.

बता दें कि इस आश्रम में लगे बोर्ड की तस्वीर इस वक्त सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रही है. यह आश्रम महाराष्ट्र के औरंगाबाद में स्थित है, जहाँ केवल ऐसे लोग रहते हैं जो अपनी पत्नियों के सताए हुए हैं. यहां ऐसे पुरुषो की संख्या ज्यादा है जिनसे उनकी पत्नियां खाना बनाने से लेकर कपड़े धोने तक के सारे काम कराती थीं.  इस आश्रम में कुल 9 और संगठन दल में 450 से ज्यादा सदस्य हैं. आश्रम में रहने वाले सभी लोग जीवन चलाने के लिए छोटा-मोटा काम करते हैं और उन्हें सिखाया भी जाता है. इस आश्रम की शुरुआत पिछले वर्ष 9 नवंबर को की गई थी.

 

 

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