हिन्दू धर्म में होली का त्यौहार बड़े ही धूम धाम से मनाया जाता है और हर साल यह लोगों के लिए बहुत ही ख़ास होता है। होली का पर्व जहाँ एक तरफ़ लोगों के बीच आपसी प्यार को बढ़ाने का काम करता है, वहीं इस पर्व के कुछ धार्मिक महत्व भी होते हैं।
इस समय में शुभ कार्य ना करें : 1मार्च को होलिका दहन की जाएगी। ज्योतिष की माने तो फाल्गुन मास की पूर्णिमा को होली मनाई जाती है। पूर्णिमा से 8 दिन पहले यानी फाल्गुन मास शुक्ल पक्ष की अष्टमी से होलाष्टक शुरू हो जाता है। जिसमे सभी तरह के शुभ काम वर्जित होते हैं। मान्यता है कि इस दौरान किए जाने वाले शुभ कार्य सफल नहीं होते हैं और व्यक्ति को परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
ज्योतिष की माने तो प्राचीन समय में दैत्यराज हिरण्यकश्यप का एक पुत्र प्रह्लाद था। वह बहुत ही धार्मिक प्रवृत्ति था। प्रह्लाद भगवान विष्णु का बहुत बड़ा भक्त था। यह बाद हिरण्यकश्यप को पसंद नहीं थी इस वजह से वह प्रह्लाद को तरह-तरह प्रताड़ित करता था। इसके बाद पूर्णिमा के दिन होलिका ने भी भक्त प्रह्लाद को जलाने का भी प्रयास किया, लेकिन वह ख़ुद जल गयी और प्रह्लाद बच गया। होली से 8 दिनों पहले से ही प्रह्लाद को प्रताड़ित किया जाता था, इसी वजह से इस 8 दिन के समय को होलाष्टक कहा जाता है।
न करें ये काम :
- हिन्दू धर्म में होली को काफ़ी महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन पूजा-पाठ करने से सभी देवी-देवता प्रसन्न हो जाते हैं। अगर आप महालक्ष्मी की कृपा पाना चाहते हैं तो आज से लेकर होली तक घर में शांति बनाए रखें। ऐसा करने से आपके जीवन में धन की कमी नही होगी।
- होलाष्टक के समय देर तक नही सोने चाहिए। सुबह जल्दी उठकर सूर्यदेव को जल अर्पित करना चाहिए।
होली की रात तक न करें ये काम:
- इन दिनों किसी भी प्रकार का शुभ कार्य नही करना चाहिए। शादी-विवाह, सगाई, गृह प्रवेश, मुंडन, गोद भराई जैसे शुभ कार्य भी नहीं करने चाहिए। ज्योतिष की माने तो इन दिनों में नौ ग्रहों का स्वभाव उग्र रहता है और इसी वजह से किसी भी शुभ कार्य का फल नहीं मिल पाता है।