आश्चर्यजनक: इस जगह आज भी होती है चंदन और केसर की बारिश, साथ ही मन की मुराद होती है पूरी!

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अगर आयुर्वेद और सौंदर्य शास्त्र की बात करें तो दोनों में ही केसर और चंदन के अनगिनत फायदे बताये गए हैं। जानकार बताते हैं कि प्राचीन काल में यह राजघरानो से लेकर आम लोगों तक के बीच खूबसूरत त्वचा औऱ शांत मस्तिष्क पाने का सबसे प्रचित तरीका था।  आज के दौर में भी पूजा आदि धार्मिक कार्यों में इन दोनों का ही खास महत्व है। लेकिन अगर हम कहें कि एक ऐसी भी जगह है जहाँ केसर और चंदन की प्राकृतिक बारिश भी होती है तो शायद आप भी हैरत में पड़ जायेंगे.

भारत में एक ऐसी जगह भी है जहां लोग चंदन-केसर की बारिश का अद्भुत नजारा देखने जाते हैं। चलिए जानते हैं इस स्थल के महत्व और यहां होने वाली इस खुशबूदार बारिश के बारे में…

यह स्थान महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश की सीमा पर स्थित मालवा क्षेत्र में है। बताते चलें कि यहां मुक्तागिरी नामक एक पवित्र तीर्थस्थल है जहां दिगंबर जैन मुनियों का सिद्ध क्षेत्र है। स्थानिय लोगो की मानें तो यहाँ हर सप्तमी और चौदश को चंदन और केसर की बारिश होती है।
 यहां जैन धर्म के दिगंबर संप्रदाय के 52 मंदिर हैं जो अपनी अनोखी वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध हैं। ऐसी मान्यता है कि यहां के मंदिरों में 600 सीढ़ियां चढ़ने-उतरने से सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
प्रचलित कथाओ के अनुसार लगभग 1000 साल पहले इस स्थान पर एक जैन मुनि ध्यान में लीन थे। अचानक उसी समय कहीं से उनके सामने एक मरा हुआ मेढ़क आकर गिरा। मुनि की आंख खुली और उन्होंने उस मेढ़क को उठाया।उन्होंने उस मरे हुए मेढ़क के कान में ‘नमोकार’ मंत्र पढ़ा जिससे उस मेढ़क को मोक्ष की प्राप्ति हुई और वह देव बन गया। इसी मेंढक के कारण मुक्तागिरी पर्वत को मेंढागिरी पर्वत के नाम से भी जाना जाने लगा। इस दिन को यहां निर्वाण दिवस के रूप में मनाया जाता है।

कथा के अनुसार इस दिन आकाश से देवतागण चंदन और केसर की वर्षा करते हैं। यहां के मंदिरों की प्रतिमाओं पर इस बारिश की फुहारें भी लोगों को इस दिन देखने को मिलती हैं। 52 मंदिरों में से 10 में पड़ने वाली यह फुहार आप साफ-साफ देख सकते हैं।

 

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