वेद मंत्र साक्षात देववाणी है। मंत्रों को यदि सही ढंग से उच्चारित किया जाए और उनका पाठ किया जाए तो वे जीवन की दिशा बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। नादब्रह्म है, इस बात से वैज्ञानिक भी सहमत है। मंत्रों के उच्चारण से बंद किस्मत के दरवाजे खुल जाते हैं और लाभ ही लाभ होने लगता है लेकिन उच्चारण सही होना चाहिए।
भारतीय मनीषा में विष्णु सहस्रनाम की विशेष महत्ता है। हिंदू धर्म में विष्णु सहस्रनाम सबसे पवित्र स्त्रोतों में से एक माना गया है। इसमेें भगवान विष्णु के एक हजार नामों का वर्णन किया गया है। मान्यता है कि इसके पढ़ने-सुनने से इच्छाएं पूर्ण होती हैं।
ये स्त्रोत संस्कृत में होने से आम लोगों को पढ़ने में कठिनाई आती है इसलिए इस सरल से मंत्र का उच्चारण करके वैसा ही फल प्राप्त कर सकते हैं जो विष्णु सहस्रनाम के जाप से मिलता है।
नमो स्तवन अनंताय सहस्त्र मूर्तये, सहस्त्रपादाक्षि शिरोरु बाहवे। सहस्त्र नाम्ने पुरुषाय शाश्वते, सहस्त्रकोटि युग धारिणे नम:।।
जीवन में आने वाली किसी भी तरह कि बाधाओं से छुटकारा पाने के लिए प्रतिदिन सुबह इस मंत्र का जाप करें।
महाभारत के ‘अनुशासन पर्व’ में भगवान विष्णु के एक हजार नामों का वर्णन मिलता है। जब भीष्म पितामह बाणों की शय्या पर थे उस समय युधिष्ठिर ने उनसे पूछा कि, “कौन ऐसा है, जो सर्व व्याप्त है और सर्व शक्तिमान है?” तब उन्होंने भगवान विष्णु के एक हजार नाम बताए थे।
भीष्म पितामह ने युधिष्ठिर को बताया था कि हर युग में इन नामों को पढ़ने या सुनने से लाभ प्राप्त किया जा सकता है। यदि प्रतिदिन इन एक हजार नामों का जाप किया जाए तो सभी मुश्किलें हल हो सकती हैं।
विष्णु सहस्रनाम को और भी बहुत सारे नामों से जाना जाता है जैसे- शम्भु, शिव, ईशान और रुद्र। इससे ज्ञात होता है कि शिव और विष्णु में कोई अंतर नहीं है ये एक समान हैं।
विष्णु सहस्रनाम के जाप में बहुत सारे चमत्कार समाएं हैं। इस मंत्र को सुनने मात्र से संवर जाएंगे सात जन्म, सभी कामनाएं हो जाएंगी पूर्ण और हर दुख का हो जाएगा अंत।