देहरादून। वर्चस्व की लड़ाई में एक कुख्यात डॉन मारा गया। यह डॉन था प्रेम प्रकाश सिंह ऊर्फ मुन्ना बजरंगी, जिसे उत्तराखंड के कुख्यात बदमाश सुनील राठी द्वारा बागपत जेल के अंदर मारा गया बताया जा रहा है। लेकिन जेल के अंदर की घटना होने के कारण कोई साक्ष्य अब तक नहीं मिल पाया है। उत्तर प्रदेश के एडीजी का कहना है कि सुनील राठी और मुन्ना के बीच लड़ाई हुई थी। सुनील राठी ने ही मुन्ना बजरंगी की हत्या की।
सूत्रों के अनुसार सुनील राठी तथा मुन्ना बजरंगी के बीच यूं तो वर्चस्व की जंग थी लेकिन पूर्व बसपा विधायक लोकेश दीक्षित से रंगदारी मांगने के आरोप में मुन्ना बजरंगी को बागपत न्यायालय में पेश किया जाना था। उसे झांसी जेल से बागपत लाया गया था जहां जेल में ही उसकी हत्या कर दी गई। मुन्ना बजरंगी की पत्नी सीमा सिंह ने एक पखवाड़ा पहले पत्रकारों को बताया था कि मुन्ना बजरंगी की हत्या हो सकती है। सीमा ने कहा था कि झांसी जेल में बंद मुन्ना बजरंगी को एसटीएफ का एक अधिकारी एनकाउंटर की कोशिश कर रहा है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया था कि ढाई साल पहले विकासनगर में पुष्पजीत सिंह व गोमती नगर में हुए तारिक हत्याकांड में शामिल शूटरों को इसके लिए चुना किया गया है लेकिन बागपत जेल में मुन्ना बजरंगी का अंत लिखा था।
प्रेम प्रकाश का जन्म1967 जौनपुर के पुरेदयाल गांव में हुआ था। पिता पारस नाथ सिंह उसे पढ़ा-लिखा कर बड़ा आदमी बनाना चाहते थे लेकिन मुन्ना की किस्मत में डॉन बनना लिखा था। 19 साल की नाबालिग उम्र में ही मारपीट और हथियार रखने के प्रकरण में जेल गया। उसके बाद तो उसने अपराध में ही उसने अपना स्थान बनाया। पहले उसे दबंग माफिया गजराज सिंह का संरक्षण मिला। 1984 में उसने गजराज सिंह के इशारे पर भाजपा नेता रामचंद्र सिंह की हत्या कर दी। 90 के दशम में वह बाहुबली मुख्तार अंसारी के गैंग में शामिल हो गया। 1996 में मुख्तार अंसारी सपा के विधायक बने, तब मुन्ना बजरंगी की किस्मत और चमक गई। उसने भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की हत्या कर दी, जो डॉन ब्रजेश सिंह का संरक्षण दे रहे थे। मुन्ना बजरंगी ने 29 नवंबर 2005 को मुख्तार अंसारी के कहने पर कृष्णानंद राय को दिन दहाड़े मार डाला, उनके साथ छह अन्य लोग भी मारे गये थे। मुन्ना बजरंगी पर 7 लाख का ईनाम घोषित था। वह लंबे अर्से तक मुंबई में रहा। मुन्ना बजरंगी एक महिला को टिकट दिलवाना चाहता था जिसके कारण उसके अंसारी से संबंध खराब हो गए।
कई हत्याओं तथा अपराधों का जनक मुन्ना बजरंगी कांग्रेस में शामिल हो गया था लेकिन मुंबई के मलार्ड क्षेत्र से 29 अक्टूबर 2009 को दिल्ली पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया। अपने 20 साल के अपराधिक जीवन में 40 से अधिक हत्याएं की और पूर्वांचल के कुख्यात अपराधियों में शामिल हो गया जिसे पश्चिम उत्तर प्रदेश के कुख्यात सुनील राठी ने मौत के घाट उतार दिया। इस तरह एक कुख्यात दुर्दान्त अपराधी के जीवन का अंत हो गया। इस मामले में बागपत के जेलर उदय प्रताप सिंह, डिप्टी जेलर शिवाजी यादव, हेड वार्डन अरजिंदर सिंह तथा माधव कुमार को निलंबित कर दिया गया है।