शैली- देहरादून के एक निजी नर्सिंग होम पर बच्चे को मृत बताकर दफनाने का गंभीर आरोप लगा है बच्चे के पिता का कहना है कि नर्सिग होम स्टाफ ने बच्चा उन्हें न देकर अस्पताल में ही दफनाने का दबाव बनाया। गौरव आहूजा निवासी विजय पार्क एक्सटेंशन ने डालनवाला पुलिस को तहरीर देकर बताया कि आठ जुलाई को उनकी गर्भवती पत्नी की तबीयत खराब हुई। वह उसे जीएमएस रोड स्थित चैतन्य अस्पताल में ले गए। वहां आपरेशन के बाद उनकी पत्नी ने एक बेटी को जन्म दिया। नवजात की हालत गंभीर बता डॉक्टरों ने उसे वैश्य नर्सिंग होम रेफर कर दिया। अस्पताल में एक बच्चा पहले से भर्ती था। गौरव ने बताया कि रात के समय नर्सिग होम के डाक्टरों ने बताया कि आपकी बेटी सीरियस है। उसे दूसरी मशीन में शिफ्ट किया गया है। अगले दिन करीब साढे 11 बजे उन्हें बताया कि उनकी बेटी की मौत हो गई है। और जब उनके द्वारा बच्चा मांगा तो स्टाफ ने उन्हें नहीं दिया। करीब दो घंटे के बाद स्वीपर आया और अस्पताल वालों ने शव को गोद में तो दियाए मगर बच्चे का चेहरा नहीं देखने दिया। जब उनके द्वारा घर आकर कागजात जांचे तो पता चला कि नर्सिग होम के कागजों में बच्चे के लिंग के आगे एम लिखा था। जबकि उनकी बेटी पैदा हुई थी। इस संबंध में जब उन्होंने नर्सिंग होम के डॉक्टरों से बात की तो वह आनाकानी करने लगें। सीसीटीवी फुटेज दिखाने की बात कही तो अगले दिन आने को कहा। वहीं जब गौरव ने क्रबिस्तान जाकर दफनाये बच्चे का डीएनए करने के लिए गढढा खोदा तो बच्चा वहां से गायब था। जिसके बाद बच्चे के पिता ने पूरे मामले की शिकायत थाने में दर्ज करायी….मामला संज्ञान में आने के बाद एसएसपी ने फील्ड यूनिट एसओजी और थाना पुलिस कों मामले से जुडे दस्तावेज जुटाने के साथ स्टाफ से पूछताछ करने के आदेश दिये है। वहीं पीड़ित का कहना है कि उन्हें आशंका है कि नर्सिग होम ने उनका बच्चा किसी और को दे दिया और डीएनएन जांच की आशंका के चलते शव वहां से गायब कर दिया। पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है जबकि एसओजी की टीम ने नर्सिंग होम सीसीटीवी फुटेज, डीवीआर को कब्जे में ले लिया है। थाने की टीम द्वारा चैतन्य अस्पताल और नर्सिग होम जाकर डाक्टर व अन्य स्टॉफ से पूछताछ कर उनके बयान दर्ज भी किए जा रहे है।