मां दुर्गा का छठा रूप है माता कात्यायनी. ये आदि शक्ति के छठे रूप के तौर पर पूजी जाती हैं. इन्हें खासकर शादी की बाधाएं रोकने वाली माता कहा जाता है. मान्यता है कि जिस भी लड़की की शादी में बाधा आ रही होती है, उन्हें मां कात्यायनी की खास पूजा करनी चाहिए. वहीं, देवी कात्यायनी सच्चे भक्तों के लिए अमोघ फलदायिनी मानी गई है. जो लोग शिक्षा के क्षेत्र में है उन्हें विशेष तौर पर देवी कात्यायनी की आराधना करनी चाहिए. शारदीय नवरात्रि का छठा दिन 15 अक्टूबर यानि आज है. एक और कथा के अनुसार कात्यायिनी की उत्पत्ति राक्षस महिषासुर का वध करने के लिए हुई. क्योंकि इस राक्षस के पास ब्रह्मा जी से वरदान था कि इसे स्त्री के अलावा कोई और नहीं मार सकता.
अपने सांसारिक स्वरूप में मां कात्यायनी शेर पर सवार रहती हैं. इनकी चार भुजाएं हैं. इनके बांए हाथ में कमल और तलवार है. दाहिने हाथ में स्वस्तिक और आशीर्वाद की मुद्रा अंकित है. नवरात्र के छठे दिन इनके स्वरूप की पूजा की जाती है.कौन हैं मां कात्यायनी
मां कात्यायनी महर्षि कात्यायन भी पुत्री हैं. इन महर्षि की कोई संतान नहीं थी. संतान प्राप्ति के लिए उन्होंने कठोर तपस्या की. उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर मां दुर्गा ने उनके घर मां कात्ययनी रूप में जन्म लिया.
लाल रंग
नवरात्र के छठे दिन लांल रंग बहुत शुभ माना जाता है. ये आदिशक्ति का प्रतीक होता है. देवी कात्यायनी की पूजा के दिन लाल वस्त्र पहनने चाहिए.
कैसे करें कात्यायनी माता की पूजा
मां कात्यायनी की पूजा करते वक्त लाल वस्त्र धारण करें और माता को पूजा के दौरान भी लाल रंग के खूशबू वाले फूल ही अर्पित करें. इसके अलावा हल्दी और शहद भी चढ़ाएं. मान्यता है कि मां कात्यायनी की उपासना करने से भक्तों को बेहद आसानी से मोक्ष की प्राप्ति होती है.