बुराई पर अच्छाई की जीत का त्योहार होली इस बार आज से शुरू हो गया है। बुधवार 20 मार्च को होलिका दहन और बृहस्पतिवार 21 मार्च को रंगों की होली खेली जाएगी, लेकिन इस साल होलिका दहन के दिन करीब 10 घंटे भद्रा का साया रहेगा। ऐसे में शास्त्रानुसार रात नौ बजे के बाद निर्दोश मुहूर्त में होलिका दहन किया जाना शुभ और मंगलकारी होगा। फाल्गुन माह की पूर्णिमा को होली का त्योहार मनाया जाता है। होली सिर्फ रंगों का ही नहीं एकता, सद्भावना और प्रेम का प्रतीक भी माना जाता है। इस साल होलिका दहन के दिन सुबह 10.48 बजे से रात 8.55 बजे तक भद्रा रहेगी। दरअसल, भद्रा को विघ्नकारक और शुभ कार्य में निषेध माना जाता है। ऐसे में लोगों में होलिका दहन के समय को लेकर दुविधा है। शास्त्रानुसार रात को नौ बजे के बाद भद्रा काल के बाद ही होलिका दहन किया जाना मंगलकारी होगा। वहीं महिलाओं को सुबह 10.48 बजे से पहले ही पूजन करना शुभ होगा। 21 मार्च को रंगों की होली का शुभ पर्व मनाया जाएगा। ज्योतिष ने बताया कि भद्रा काल में शुभ कार्य निषेध माने जाते हैं। रात नौ से साढ़े नौ बजे तक होलिका दहन का श्रेष्ठ मुहूर्त है। होलिका की अग्नि में गाय का गोबर, गाय का घी और अन्य हवन सामग्री का दहन किया जाना चाहिए। उन्होंने होली के दौरान शराब और मांस का सेवन नहीं करने की सलाह दी है। वर्षों पूर्व पृथ्वी पर हिरण्यकश्यप नाम का एक अत्याचारी राजा था। उसने अपनी प्रजा को आदेश दिया कि ईश्वर की आराधना न करके उसकी पूजा की जाए। वहीं उसका पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु का भक्त था। हिरण्यकश्यप ने अपने पुत्र को सबक सिखाने के लिए अग्नि से न जलने का वरदान प्राप्त कर चुकी बहन होलिका की गोद में प्रह्लाद को बैठाकर अग्नि के हवाले कर दिया। इसमें होलिका भस्म हो गई और भक्त प्रह्लाद की रक्षा हुई। तभी से हम बुराइयों और पाप के अंत के रूप में होलिका का दहन करते हैं।