चकराता, कालसी व त्यूणी के 38 गांव एमडीडीए में शामिल होने पर संग्राम, कांग्रेस ने बताया जन विरोधी फैसला……

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देहरादून- कालसी, चकराता और त्यूणी के 38 गांवोे को एमडीडीए के अंर्तगत लाये जाने के फैसले पर सरकार के खिलाफ कांग्रेस ने मोर्चा खोल दिया है। कांग्रेस का कहना है कि सरकार का यह फैसला जन विरोधी है इससे क्षेत्र के लोगों की मुश्किलें बढे़गी। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह का कहना है कि इससे क्षेत्र की जनता को क्या फायदा होगा यह समझ से परे है। उन्होनेे कहा कि सरकार द्वारा बिना सोच विचार के ऐसे फैसले लिये जा रहे है। उन्होनेे कहा कि तीनों ब्लाकों के जिन 38 गांवों को एमडीडीए के दायरे में लाया गया है अब उन्हे दुकान या मकान बनाने या छोटे से छोटे निर्माण कराने के लिए भी देहरादून के चक्कर काटनें पड़ेगें। प्रीतम सिंह ने कहा कि इन ग्रामीण लोगों के पास घर मकान बनाने के लिए तो पैसे होते नहीं अगर वह किसी तरह से कुछ बनाने की कोशिश भी करेंगें तो उन पर नक्शा पास कराने का खर्च और थोप दिया गया है। उनका कहना है कि एमडीडीए जो भ्रष्टाचार का अड्डा है वहंा ग्रामीणों को नक्शा पास कराने के लिए कितने पापड़ बेलने पड़ेगें यह सभी जानते है। उन्होने कहा कि सरकार को अपना फैसला वापस लेना चाहिए। क्योंकि यह बिना चिंतन के लिए गया फैसला है। उन्होने कहा कि वह सरकार के इस जन विरोधी फैसले के खिलाफ आंदोलन करेंगे। उधर भाजपा ने इस फैसले को विकास परक बताते हुए कहा कि इससे न सिर्फ देहरादून के विकास को गति मिलेगी अपितु जिस क्षेत्र को एमडीडीए में शामिल किया गया है उसका भी विकास होगा। एमडीडीए के बीसी आशीष श्रीवास्तव का कहना है कि चकराता, त्यूणी ओैर विकासनगर को एमडीडीए में शामिल किये जाने से आस पास के क्षेत्र का भी विकास होगा। उन्होने कहा कि एमडीडीए और साडा के बीच अपने कार्यक्षेत्र को लेकर जो समस्या बनी हुई थी वह भी खत्म हो जायेगी। यहंा यह भी बता दें कि जिन तीन ब्लाकों को एमडीडीए में शामिल किया गया है वह पहले से ही रेस्टोक्टिज एरिया है इसे एमडीडीए में शामिल करने का कोई लाभ नहीं है इन क्षेत्रोें के लोग भी सरकार के इस फैसले को लेकर सहमत नहीं है।

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