इस वर्ष श्राद्ध का एक दिन कम होगा, क्योंकि दो श्राद्ध एकादशी के दिन पड़ेंगे। पंडितों के अनुसार, शारदीय नवरात्र पूरे नौ दिन पड़ रहे हैं। ज्योतिष के दृष्टि से श्राद्ध का घटना और नवरात्र का बढ़ना या पूरा पड़ना शुभ मनाया गया है। 16 दिनों के श्राद्ध और नौ दिनों के नवरात्र एक के बाद एक पड़ते हैं। इस तरह 25 दिनों का विशेष पर्व काल मनाया जाता है। इस वर्ष 16 दिनों के श्राद्ध 13 सितंबर को पूर्णिमा श्राद्ध से प्रारंभ हो जाएंगे। महालय श्राद्ध पक्ष का यह पहला दिन होगा। श्राद्धों का समापन पितृ अमावस्या और पितृ विसर्जन के श्राद्ध के साथ 28 सितंबर को होगा। श्राद्ध के दिन यद्यपि 16 रहेंगे, लेकिन 27 सितंबर को चतुर्दशी तिथि का लोप हो जाएगा। चतुर्दशी श्राद्ध 27 सितंबर शुक्रवार को होगा, जबकि त्रयोदशी श्राद्ध 26 सितंबर गुरुवार को पड़ रहा है। इससे एक दिन पूर्व 25 सितंबर को एकादशी और द्वादशी के दो श्राद्ध एक साथ पड़ जाएंगे। शारदीय नवरात्र 29 सितंबर को प्रारंभ होंगे और महानवमी के दिन सरस्वती और दुर्गा विसर्जन के साथ सात अक्टूबर को संपन्न होंगे। शारदीय नवरात्र घट स्थापन 29 सितंबर को प्रातकाल होगा। अष्टमी तिथि छह सितंबर को पड़ेगी। दुर्गा नवमी के अगले दिन आठ सितंबर को विजयदशमी का पर्व मनाया जाएगा।