सुप्रीम कोर्ट की केंद्र सरकार को फटकार, महिलाओं के प्रति मानसिकता में बदलाव लाने की जरूरत…..

0
837

सुप्रीम कोर्ट ने आज सेना में महिला अधिकारियों को स्थाई कमीशन देने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार को फटकार लगाई। अदालत ने केंद्र से कहा कि 2010 में दिल्ली उच्च न्यायलय के आदेश के बाद इसे लागू किया जाना चाहिए था। अदालत ने कहा कि सामाजिक और मानसिक कारण बताकर महिलाओं को इस अवसर से वंचित करना न केवल भेदभावपूर्ण है, बल्कि अस्वीकार्य भी है। अदालत ने केंद्र को अपने नजरिए और मानसिकता में बदलाव लाने को कहा है। शीर्ष अदालत ने दिल्ली उच्च न्यायालयों के आदेश को बरकरार रखते हुए कहा कि महिलाओं के सेना के 10 विभागों में स्थायी कमिशन दिया जाए। अदालत ने सरकार के महिलाओं को कमांड न देने को लेकर दिए तर्क को अतार्किक और समानता के अधिकार के खिलाफ बताया। अदालत ने कहा कि सशस्त्र बलों में लिंग आधारित भेदभाव खत्म करने के लिए सरकार की ओर से मानसिकता में बदलाव जरूरी है। हालांकि अदालत के फैसले के बावजूद युद्ध क्षेत्र में महिला अधिकारियों को तैनाती नहीं मिलेगी। न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड और जस्टिस अजय रस्तोगी की पीठ ने कहा कि सेना में महिला अधिकारियों की नियुक्ति एक विकासवादी प्रक्रिया है। अदालत ने कहा कि शीर्ष अदालत द्वारा उच्च न्यायलय के फैसले पर रोक न लगाने के बावजूद केंद्र ने इसे लागू नहीं किया। उच्च न्यायालय के फैसले पर कार्रवाई न करने का कोई कारण या औचित्य नहीं है। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा, सभी नागरिकों को अवसर की समानता और लैंगिक न्याय सेना में महिलाओं की भागीदारी का मार्गदर्शन करेगा। केंद्र के महिलाओं की शारीरिक विशेषताओं पर विचारों को अदालत ने खारिज कर दिया। अदालत ने कहा कि सेना में असली समानता लानी होगी। अदालत ने कहा कि वास्तव में 30 प्रतिशत महिलाएं लड़ाकू क्षेत्रों में तैनात हैं। महिलाओं को सेना में स्थायी कमीशन देने से मना करना रुढ़िवादी पूर्वाग्रहों का प्रतिनिधित्व करते हैं। अदालत के फैसले के बाद अब महिलाएं सेवानिवृत्त होने तक अपनी सेवाएं दे सकती हैं। इस फैसले का लाभ 14 साल की सेवा दे चुकी महिलाओं पर भी लागू होगा।

 

 

 

 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here