इस बार भी यूपी में नहीं बढ़ेंगे बिजली के दाम,विद्युत नियामक आयोग ने जारी किया टैरिफ ऑर्डर

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लखनऊ-उत्तर प्रदेश में इस बार भी बिजली दरें नहीं बढ़ाई जाएंगी। राज्य विद्युत नियामक आयोग ने गुरुवार को टैरिफ ऑर्डर जारी कर दिया है। बताया जा रहा है कि 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव और कोरोना से पैदा हुए हालात को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है। बता दें कि यह लगातार दूसरे साल है जब दरों में किसी भी तरह की बढ़ोतरी नहीं की गई है।

बिजली कंपनियों की ओर से दाखिल किए गए स्लैब परिवर्तन, रेगुलेटरी सरचार्ज लगाने समेत अन्य प्रस्तावों को भी खारिज कर दिया गया। कंपनियों ने स्लैब परिवर्तन और उपभोक्ताओं पर 49827 करोड़ रुपये निकालने का दावा करते हुए दरों में 10 से 12 फीसदी दरें बढ़ाने की भूमिका तैयार की थी। वहीं, कोरोना महामारी को देखते हुए उपभोक्ता संगठन दरों में कमी का दबाव बनाए हुए थे। इसी दौरान मई में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बिजली दरें न बढ़ाने का एलान कर दिया। सीएम के रुख को देखते हुए नियामक आयोग ने भी बढ़ोतरी न करने का मन बना लिया।

उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन द्वारा बिजली कम्पनियों की ओर से 2021-22 के लिये दाखिल वार्षिक राजस्व आवश्कता टैरिफ प्रस्ताव सहित स्लैब परिवर्तन व वर्ष 2019-20 की ट्रू-अप याचिका पर गुरुवार को विद्युत नियामक आयोग चेयरमैन आर पी सिंह व सदस्य केके शर्मा एवं वी के श्रीवास्तव की पूर्ण पीठ ने अपना फैसला सुना दिया।

आयोग ने अपने आदेश में कहा कि इस वर्ष बिजली दरों में कोई भी बदलाव नही किया जायेगा। वर्तमान टैरिफ ही आगे लागू रहेगा। वहीं, उपभोक्ता परिषद के विरोध के बाद आयोग ने बिजली कंपनियों के स्लैब परिवर्तन व रेगुलेटरी असेट को पूरी तरह अस्वीकार करते हुए खारिज कर दिया। वहीं वर्ष 2021-22 व ट्रू-अप 2019-20 के लिये बिजली कंपनियों द्वारा निकाली गई 49 हजार करोड़ से ज्यादा की भारी भरकम धनराशि को समाप्त कर दिया गया है।

बिजली कंपनियों ने उपभोक्ता परिषद के कोविड राहत टैरिफ प्रस्ताव को रोकने के लिए 10 से 12 प्रतिशत रेगुलेटरी सरचार्ज लगाने को नियामक आयोग में रेगुलेटरी असेट के रूप में 49827 करोड़ रुपये का प्रस्ताव दिया था। जिस पर उपभोक्ता परिषद् ने विधिक सवाल खड़ा करते हुए खारिज करने की मांग उठाई थी। नियामक आयोग ने इसे सही मानते हुए बिजली कंपनियों के प्रस्ताव को खारिज कर दिया।

टैरिफ से संबंधित आदेश में आयोग ने साफ कहा है कि ग्रामीण किसानों के निजी ट्यूबवेल पर मीटर भले लग जाये लेकिन उनसे वसूली 170 रुपये प्रति हार्सपावर प्रति माह की दर पर ही होगी। आयोग ने अपने आदेश में कहा है कि स्मार्ट मीटर पर आने वाले खर्च का भार उपभोक्ताओं पर नही डाला जाएगा।
उपभोक्ता परिषद की लंबी लड़ाई काम आई
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा उपभोक्ता परिषद की लंबी लड़ाई काम आई। अंततः विद्युत नियामक आयोग ने स्लैब परिवर्तन रेगुलेटरी सरचार्ज असेट के प्रस्ताव को खारिज कर यह सिद्ध कर दिया कि उपभोक्ता परिषद की मांग सही थी। उपभोक्ता परिषद् पूरे टैरिफ का अध्ययन कर बिजली दरों में कमी के लिए पुनर्विचार याचिका दाखिल करेगा।

 

 

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