उत्तराखंडी महिला ने मरने के बाद भी दी 6 लोगो को ज़िन्दगी

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अपनी मृत्यु के बाद 50 वर्षीय महिला ने छह रोगियों को जीवन दान दिया। गीता देवी ने 1 मई की रात को नोएडा के एक निजी अस्पताल में आखिरी साँस ली थी। ग्रीन कॉरिडोर के माध्यम से उनके अंगो को ३२ किलोमीटर और २३ किलोमीटर की दूरी पर इंतज़ार कर रहे मरीजों तक पहुँचाया गया ।

पिथोरागढ़, उत्तराखंड में बारलू गांव की  निवासी गीता देवी को एक सप्ताह पहले नोएडा में कैलास अस्पताल में भर्ती कराया गया था उन्हें गंभीर रूप से सिरदर्द हो रहा था। बाद में उन्हें जेपी अस्पताल के एक आपातकालीन वार्ड के लिए रवाना किया गया, जिसके बाद उच्च रक्तचाप के एक अज्ञात मामले में उनके मस्तिष्क में रक्तस्राव होना बताया गया। कुछ समय बाद उन्हें मस्तिष्क मृत घोषित कर दिया गया था। बाद में उनके परिवार से अंग दान का निवेदन किया गया जिसको उन्होंने स्वीकार्य कर लिया।

राष्ट्रीय अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (नॉटो) को सूचित किया गया , जेपी अस्पताल के प्रत्यारोपण सह-समन्वयक ने कार्रवाई की और नोएडा यातायात पुलिस से दो हरे रंग की गलियारों की सुविधा के लिए कहा गया।

जेपी अस्पताल में मरीजों को लीवर और एक गुर्दा (kidney) आवंटित किए गए। मृतक का लीवर उत्तर प्रदेश के हापुर से 42 वर्षीय व्यक्ति को ट्रांसप्लांट किया गया है, जबकि द्वारका की 35 वर्षीय युवती में गुर्दा प्रत्यारोपित किया गया ।

मृतिका के भाई श्याम प्रसाद ने बताया कि गीता देवी “हमेशा अपने गांव समुदाय की सहायता के लिए तत्पर रहती थी उन्होंने कई महिला सशक्तिकरण परियोजनाओं को गाँव में बढाया, जैसे कि सिलाई मशीनों की व्यवस्था और गांव के बच्चों को पढ़ाना”।

कुछ लोगो के जीवन का उद्देश्य अपने आस पास के लोगो की भलाई होता है, वही बहुत कम को यह सौभाग्य मिलता है की वह मरने के बाद भी दूसरो को ज़िन्दगी दे सके, गीता देवी पर हम सभी उत्तराखंड वासियों को ही नहीं बल्कि पूरे देश वासियों को गर्व होना चाहिए.

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