देश के लिए मिसाल – उत्तराखंड की ये नारी शक्तियां!

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1. आंधियों में भी जैसे कुछ चिराग जला करते हैं।
उतनी ही हिम्मत ए हौसला हम भी रखा करते हैं ।।

2. खोल दे पंख मेरे, कहता है परिंदा, अभी और उड़ान बाकी है।
जम़ी नहीं है मंजिल मेरी, अभी पूरी आसमान बाकी है।

यह कहावत उत्तराखंड की इन बेटियों पर एक दम सटीक बैठती हैं। पूरे उत्तराखंड को गौरवांतित करने वाली यह महिलायें प्रदेश में ही नहीं बल्कि पूरे देश के लिए मिशाल बनी हुई हैं। जिंदगी में चुनौतियां आपकी हिम्मत परखती हैं। घबराने के बजाय डटकर मुकाबला करना ही आपकी कामयाबी की पहली सीढ़ी है। इसी मंत्र को जिंदगी में उतार इन उत्तराखंडी नारियों ने एक नया इतिहास रचा है।

राधा रतूड़ी- प्रदेश की वरिष्ठ आईएएस  अधिकारी और पिछले दस सालों से मुख्य निर्वाचन अधिकारी का पद संभाल रही राधा रतूड़ी नारियों के लिए किसी मिसाल से कम नहीं हैं। भारतीय प्रशासनिक सेवा की अधिकारी राधा रतूड़ी वर्ष 2007 में प्रमुख सचिव एवं मुख्य निर्वाचन अधिकारी बनी थी। तब से ही वे इस पद पर बनी हुई हैं। अब उन्हें इस पद पर बने दस साल हो चुके हैं। बतौर प्रमुख सचिव शासन में बैठकर जनहित के मुद्दों पर फैसले लेकर नीति क्रियान्वित करना और मुख्य निर्वाचन अधिकारी की भूमिका में सरकार पर ही अंकुश लगाना आसान काम नहीं है। बेहतर समन्वय का यह हुनर कोलकाता से स्कूलिंग व मुंबई से उच्च शिक्षा पाने वाली 1988 बैच की आईएएस अफसर राधा रतूड़ी को बखूबी आता है। लोक सभा चुनाव हो या राज्य का विधान सभा चुनाव, उन्होंने बखुबी बिना किसी राजनीति दबाब के अपने कर्तव्यों का निर्वाहन किया।

विनेदिता कुकरेती- वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी निवेदिता कुकरेती महिला सशक्तिकरण का एक बेहतरीन उदाहरण है। निवेदिता कुकरेती को देहरादून में लेडी सिंघम के रूप मे जाना जाता है। दिखने में सीधी-सादी, लेकिन अपने काम में है दबंग। श्रीमती निवेदिता कुकरेती कुमार वर्ष 2008 बैच उत्तराखंड कैडर की भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) की अधिकारी है। वह इससे पूर्व एएसपी उधमसिंह नगर, एएसपी हरिद्वार , एसपी बागेश्वर , एसपी, पुलिस मुख्यालय, एसएसपी पौड़ी गढ़वाल, एसपी सतर्कता अधिष्ठान (देहरादून सेक्टर), एसपी पी एण्ड एम पुलिस मुख्यालयध्सीपीयू के पद पर नियुक्त रही है। निवेदिता कुकरेती दून की तीसरी महिला एसएसपी हैं। एसएसपी देहरादून का चार्ज संभालते ही निवेदिता का फोकस राजधानी देहरादून में क्राइम कंट्रोल,ट्रेफिक व्यवस्था को सुधारने के साथ साथ अवैध खनन और ड्रग्स माफियाओं पर नकेल कसना रहा है
यहां उन्होंने कई ऐसे बड़े अपराधिक मामले सुलझाये जिनका कनेक्शन अंतराष्टीय स्तर पर है। जिसमे आरोपियों ने एटीएम से डाटा चुराकर सेकड़ो लोगो से करोडो की धोखाधड़ी और किडनी रैकेट का खुलासा प्रमुख रूप से शामिल है। एसएसपी देहरादून निवेदिता के अवैध खनन, नशे के खिलाफ चलाए गए अभियान से खनन और ड्रग्स माफियाो में खलबली मची हुई है। कहा जा रहा है की अवैध खनन व नशे के खिलाफ निवेदिता की छेड़ी गई मुहीम से खनन और ड्रग्स माफिया इनके नाम से ही घबराते है। जिस समय निवेदिता पुलिस मुख्यालय में पोस्डेड थी तब उन्होंने एक अभिनव प्रयोग करके सिटी पेट्रोल यूनिट {सीपीयू} की शुरूआत की थी। निवेदिता को मुख्यमंत्री सराहनीय सेवा पुरस्कार भी मिल चुका है। पुलिस सेवा अपने आप में ही एक चुनौतिपूर्ण सेवा है। एक महिला होने के साथ ही निवेदिता ने एक माँ, पत्नी, बहू होने का फर्ज भी बखूबी निभा रही हैं। साथ ही देहरादून जिले की पुलिस कप्तानी। शायद इसे ही महिला शक्ति कहते हैं।

तृप्ती भटृ- आज 2013 बैच की आईपीएस तृप्ति भट्ट तीर्थनगरी में अपराधियों के लिए बुरा सपना बन चुकी हैं। बतौर एएसपी तृप्ति ने अपने अभियानों के बूते न सिर्फ शहर से अतिक्रमण दूर हटाने में काफी हद तक कामयाबी पाई, बल्कि अवैध शराब तस्करों के लिए खौफ का सबसे बड़ा नाम बन गई हैं। तृप्ति समाज को अपराधमुक्त करने और महिलाओं को अधिकारों के प्रति जागरूक करने को अपनी पहली प्राथमिकता बताती हैं।
कलाम के पत्र से मिली प्ररेणा
जीवन में कुछ कर गुजरने की प्रेरणा तृप्ति को पूर्व राष्ट्रपति डा. एपीजे अब्दुल कलाम से मिली। तृप्ति बताती हैं, कक्षा नौ में थी तो राष्ट्रपति भवन से अल्मोड़ा में आयोजित कार्यक्रम का न्यौता मिला था। यहां पहली बार राष्ट्रपति डॉ. कलाम से रूबरू हुई। सर्वोच्च पद पर आसीन डॉ. कलाम की साधारण शख्सियत ने उन्हें बेहद प्रभावित किया। मुलाकात के दौरान डा. कलाम ने उन्हें एक हस्तलिखित पत्र दिया, जिसमें कई प्रेरणाप्रद बातें लिखी थी।

एकता विष्ट- एकता बिष्ट का जन्म 8 फरवरी 1986 को अल्मोड़ा में हुआ, उनके पिता कुंदन सिंह बिष्ट, 1988 में भारतीय सेना से हवलदार के पद पर सेवानिवृत्त हुए थे। एकता ने छह साल की उम्र में क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया। वह लड़कों के साथ खेल खेलती थीं, जो अक्सर दर्शकों को आकर्षित करती थी क्योंकि वह एक पुरुष टीम में एकमात्र लड़की थी। 2006 में एकता उत्तराखंड क्रिकेट टीम की कप्तान बनी। और 2007 से 2010 तक उत्तर प्रदेश क्रिकेट टीम के लिए खेलीं।  पिता की पेंशन मात्र 1,500 रूपये थी जिसके चलते उनके पिता ने अल्मोड़ा में चाय की दुकान खोल बेटी के क्रिकेट करियर का समर्थन किया। बेटी ने भी ठान लिया कि वह परिवार और राज्य का नाम रोशन करेगी जिसका नतीजा आज हम सबके सामने है। और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 2 जुलाई 2011 को अपनी पहली ओपन शुरूआत हुई थी। और अब 2017 महिला क्रिकेट विश्व कप के फाइनल में एकता ने अहम भूमिका निभाई लेकिन भारतीय टीम नौ रन से इंग्लैंड से हार गई थी।

मानसी जोशी- भारतीय अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खिलाड़ी मानसी जोशी का जन्म 6 नवंबर 1992 को उत्तरकाशी में ब्रह्मखाल नामक एक छोटे से गांव में हुआ। मानसी ने नवंबर 2016 में भारतीय राष्ट्रीय टीम के लिए अपनी शुरुआत की। जो कि एक तेज गेंदबाज के लिए जानी जाती है और वह घरेलू क्रिकेट हरियाणा की ओर से खेलती हैं। जोशी को वेस्टइंडीज के खिलाफ नवंबर 2016 श्रृंखला के 20 -20 इंटरनेशनल (टी 20आई) के घटक के लिए भारतीय टीम में नामित किया गया था, जब उन्हें पहली बार राष्ट्रीय टीम में शामिल किया गया था। उस श्रृंखला में उनकी किसी भी टीम के मैचों में उनका चयन नहीं हुआ था, लेकिन थाईलैंड में 2016 के महिला ट्वेंटी -20 एशिया कप में बांग्लादेश के खिलाफ खेलने वाले इस महीने में बाद में टी 20 आई की शुरुआत की। मानसी ने पहली बार 1/8 की शुरुआत की, और अगले गेम में थाईलैंड के खिलाफ 2/8 रन बनाये और उन्हें मैच के खिलाड़ी का नाम दिया गया (हालांकि उस गेम में टी 20 आई का दर्जा नहीं था)।

दिव्या रावत – दिव्या रावत का जन्म उत्तराखंड के चमोली जिले में हुआ। जब दिव्या मात्र 7 साल की थीं तभी उनके पिता का देहांत हो गया था। जिसके कारण उन्हें बहुत सी परेशानियों का सामना करना पड़ा,दिव्या ने सामाजिक कार्य करने हेतु अपनी पढाई लिखाई एएमआईटीवाई विश्वविद्यालय नोएडा से बीएचडब्ल्यू में संपन की और उसके बाद इग्नू से समंजिक कार्य करने हेतु मास्टर डिग्री भी प्राप्त की। फिर तीन साल तक संस्थानों में नौकरी भी की जहाँ वे मानव अधिकारों के मुद्दों पर काम करती थीं, मगर उनका दिल हमेशा पहाड़ो में ही रहता था और पहाड़ के लिए कुछ कर गुजरने का जज्बा उन्हें फिर से पहाड़ो में खींच लाया, और फिर दिव्या ने देहरादून में आकर डिपार्टमेंट ऑफ हॉर्टिकल्चर, डिफेंस कालोनी, देहरादून से एक हफ्ते का मशरूम उत्पादन का प्रशिक्षण लिया । आज दिव्या सौम्या फूड प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की मैनेजिंग डायरेक्टर हैं। नॉएडा से पढाई करके पहाड़ो में रोजगार देकर न सिर्फ खुदको बल्कि वहाँ की कई महिलाओं को भी स्वावलंबी बना दिया।

 

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