तो इसलिए नही पहनने चाहियें पेरो में सोने के आभूषण, जाने!

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धार्मिक मान्यता : दरअसल धार्मिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो सोने को देवी लक्ष्मी का स्वरूप माना जाता है। साथ ही भगवान विष्णु जी को भी सोना बहुत प्रिय है और जो वस्तु भगवान को प्रिय है, उसे अगर पैर में धारण किया जाए तो फिर वो भगवान का अपमान होगा। इसलिए हमेशा सोने के आभूषणों को कमर के ऊपर तक ही पहना जाता है।

इसके साथ ही पैरो की शोभा चाँदी के पायल से इसलिए बढ़ाई जाती है क्योंकि मान्यता है कि चाँदी के पायल में जो घुंघरू लगाये जाते हैं.. उससे जो आवाज़, जो खनक होती है, वो सीधे हृदय तक पहुँचती है और उससे व्यक्ति का चित शांत होता है।

वैज्ञानिक मान्यता :  सोने की तासीर गर्म होती है जबकि वहीं चांदी शीतल होती है.. ऐसे में सिर पर सोना और पैरों में चांदी के गहने ही पहनने चाहिए क्योंकि इससे सिर से उत्पन्न ऊर्जा पैरों में और चांदी से उत्पन्न ठंडक सिर में जाएगी जिससे कि शरीर में उचित तापमान बना रहेगा। वहीं अगर सिर और पांव दोनों में ही सोने के गहने पहन लिया जाए तो इससे सिर और पैर दोनों में समान गर्म ऊर्जा प्रवाहित होगी  और वो व्यक्ति के लिए हानिकारक हो सकता है.. इससे कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। इसलिए स्वास्थय लाभ की दृष्टि से चांदी का पायल पहनना ही उचित है। इसके साथ ही पैरों में चांदी की पायल  पहनने का एक लाभ ये भी मिलता है कि चूंकि पायल हमेशा पैरों से रगड़ती रहती है, ऐसे में चांदी की पायल होने पर उससे चांदी के प्रभाव से पैरो की हड्डियों को लाभ मिलता है.. इससे स्त्रियों के पैरों की हड्डी को मजबूती मिलती है।

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