उत्तराखंड के इन लालों पर है देश की बड़ी जिम्मेवारी…..

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देश की सुरक्षा में उत्तराखंड का गौरवशाली इतिहास रहा है। यही वजह है कि उत्तराखंड के बेटों को एक के बाद देश के शीर्ष पदों पर अहम जिम्मेवारी मिल रही है। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, आर्मी चीफ बिपिन चंद्र रावत,रॉ चीफ अनिल धस्माना के बाद अब मूल रूप से उत्तराखंड के ओम प्रकाश रावत देश के सर्वोच्व पद पर अहम जिम्मेवारी मिली है, जो कि अब भारत के अगले मुख्य चुनाव आयुक्त होंगे। राज्य के ऐसे ही कुछ हस्तियों के बारे में हम आपको बता रहे हैं, जो वर्तमान समय में देश के सर्वोच्च पदों पर अपनी सेवा दे रहे हैं।

ओम प्रकाश रावतमोदी सरकार ने ओम प्रकाश रावत को मुख्य चुनाव आयुक्त बनाने की घोषणा कर दी गई है। जिसके बाद वे आज  पदभार संभालेंगे। दो दिसंबर, 1953 को जन्मे रावत 1977 बैच के आईएएस ऑफिसर हैं। ओम प्रकाश रावत मध्य प्रदेश काडर के आईएएस ऑफिसर हैं। ओम प्रकाश रावत उत्तराखंड के उत्तरकाशी से जुड़े बताये जाते हैं। रावत के दादा परदादा उत्तराखंड से ही हैं। हालांकि कहा जाता है कि वे कभी पहाड़ों में नहीं रहे लेकिन बावजूद इसके पहाड़ों से उनका बेहद लगाव है। बिहार विधानसभा चुनाव से पहले रावत को चुनाव आयुक्त बनाया गया था। ओपी रावत के चुनाव आयुक्‍त के कार्यकाल में बिहार, तमिलनाडु, केरल, पश्चिम बंगाल, असम, उत्तराखंड, पंजाब, मणिपुर, गोवा, उत्‍तर प्रदेश, गुजरात और हिमाचल प्रदेश आदि राज्‍यों के चुनाव हुए हैं।

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार पद पर उत्तराखंड के ही अजीत डोभाल है। उत्तराखंड के पौड़ी जिले के छोटे से गांव बनेलस्यु में जन्मे अजित डोभाल पीएम मोदी के खासमखास माने जाते हैं। राष्टीय सुरक्षा सलाहकार डोभाल की शिक्षा अजमेर और आगरा से हुई। भारत सरकार के पाकिस्तान पर किये सर्जिकल स्ट्राइक में अजीत डोभाल की मुख्य भूमिका रही है। डोभाल के बारे में कहा जाता है कि वे एक ऐसे भारतीय हैं, जो खुलेआम पाकिस्तान को एक और मुंबई के बदले बलूचिस्तान छीन लेने की चेतावनी देने से गुरेज़ नहीं करता। एक ऐसा जासूस जो पाकिस्तान के लाहौर में 7 साल मुसलमान बनकर अपने देश की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध रहा हो। डोभाल भारत के ऐसे एकमात्र नागरिक हैं, जिन्हें शांतिकाल में दिया जाने वाले दूसरे सबसे बड़े पुरस्कार कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया है।

सेना प्रमुख बिपिन चंद्र रावत

देश की रक्षा के लिए तैनात थल सैना का नेतृत्व भी उत्तराखंड के ही बेटे के हाथ में है। भारतीय थल सेना प्रमुख बिपिन चंद्र रावत पौड़ी गढ़वाल से हैं। बिपिन चंद्र रावत ने 31 दिसंबर 2016 को थल सेनाध्यक्ष का पदभार संभाला था। अपनी पारिवारिक विरासत को आगे बढ़ाते हुए लेफ्टिनेंट जनरल बिपिन रावत इस पद पर पहुंचे हैं। रावत सेना में तेज तरार अफसर के तौर पर जाने जाते हैं। 11वीं गोरखा राइफल्स से आने वाले रावत को कश्मीर और चीन सीमा में काम करने का लंबा अनुभव है। उन्हें इस पूरे इलाके का विशेषज्ञ माना जाता है। लेफ्टिनेंट जनरल बिपिन रावत अति विशिष्ट सेवा मेडल, युद्ध सेवा मेडल, सेना मेडल व विशिष्ट सेवा मेडल जैसे कई सम्मान से सम्मानित किये गए हैं।

रॉ चीफ अनिल धस्माना

अनिल बलुचितस्तान से लेकर इस्लामिक आतंकवाद तक के गहरे जानकार हैं। मूल रूप से उत्तराखंड के रहने वाले अनिल धस्माना IPS बनने के बाद मध्य प्रदेश के अलग-अलग शहरों में तैनात रहे, अनिल पाकिस्तान और इस्लाम से जुड़े मामलों के एक्सपर्ट हैं। रॉ से जुड़ने के बाद उन्होंने बलूचिस्तान पर बहुत काम किया। मौजूदा वक्त में सरकार के पास बलूचिस्तान को समझने और इससे जुड़ी रणनीति तैयार करने के लिए धस्माना से बेहतर कोई अफसर नहीं है।

कोस्ट गार्ड के डायरेक्टर जनरल राजेंद्र सिंह

भारतीय तटरक्षक बल यानी कोस्ट गार्ड के डायरेक्टर जनरल के पद पर इस वक्त उत्तराखंड के ही लाल का कब्जा है। राजेंद्र सिंह उत्तराखंड के चकराता से हैं। उन्होंने 2016 में ही कार्यभार संभाला था। राजेंद्र सिंह ने गढ़वाल विश्वविद्यालय, श्रीनगर, पौड़ी गढ़वाल से ग्रेजुएशन किया है। उन्होंने 1980 में कोस्ट गार्ड ज्वाइन किया था।

डीजीएमओ अनिल कुमार भट्ट

लेफ्टिनेंट जनरल अनिल कुमार भट्ट डायरेक्टर जनरल मिलिट्री ऑपरेशन (डीजीएमओ) के पद पर उत्तराखंड का मान बढ़ा रहे हैं। मूल रूप से अनिल कुमार भट्ट टिहरी गढ़वाल के रहने वाले हैं और वे लेफ्टिनेंट जनरल रणवीर सिंह की जगह डायरेक्टर जनरल मिलिट्री ऑपरेशन (डीजीएमओ) नियुक्त किए गए हैं। भट्ट ने मसूरी के हेपटनकोर्ट से शुरुआती शिक्षा ली और 12वीं तक की पढ़ाई कान्वेंट स्कूल सेंट जार्ज कॉलेज से पूरी की।

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