उत्तराखंड का रहस्यमयी मंदिर, जहाँ पुजारी भी साल में एक बार करते हैं बंद आँखों से पूजा!

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उत्तराखंड यानि देवभूमि अर्थात देवी-देवतओं की भूमि यहाँ के कण कण में ही भगवान का वास है इसीलिए इसे देवभूमि भी कहा जाता है। अगर देश भर के मंदिरों की बात करें तो सबकी अपनी अलग ही मान्यतायें हैं, हर मंदिर में अलग नियम लागू होते हैं, इस क्रम में कुछ ऐसे मंदिर हैं जहाँ महिलाओं का प्रवेश वर्जित है, तो कहीं पुरोषो को ही महिला के रूप धारण कर मंदिर में प्रवेश मिलता है। उत्तराखंड के इन्ही प्रसिद्ध मंदिरों में से एक मंदिर के बारे में आज हम बात कर रहे हैं जहाँ महिलाओं और पुरुषों दोनों का प्रवेश वर्जित है।

यह मंदिर उत्तराखंड के चमोली जिले के देवाल ब्लॉक में वांण नामक गांव में स्थित है। राज्य में यह देवस्थल लाटू मंदिर नाम से विख्यात है। यहां लाटू देवता की पूजा होती है। खास बात यह है कि यहाँ महिलाओं और पुरुषों दोनों का प्रवेश वर्जित है। यही नही, मंदिर के पुजारी को भी आंख, नाक और मुंह पर पट्टी बांधकर देवता की पूजा करनी पड़ती है। ऐसा माना जाता है कि मंदिर के अंदर साक्षात रूप में नागराज अपने अद्भुत मणि के साथ वास करते हैं, जिसे देखना आम लोगों के वश की बात नहीं है। पुजारी भी साक्षात विकराल नागराज को देखकर न डर जाएं, इसलिए वे अपने आंख पर पट्टी बांधते हैं। श्रद्धालु इस मंदिर परिसर से काफी दूर रहकर पूजा कर मन्नतें मांगते हैं।

जानकारों की मानें तो लाटू देवता पूरे उत्तराखंड की आराध्य देवी माँ नंदा भगवती के छोटे भाई थे, और जब हर 12 साल में होने वाली प्रसिद्ध नंदा राजजात यात्रा शुरू होती है तब नंदा देवी अपने भाई लाटू देवता से मिलने अपने बारहवें पड़ाव पर इस गाँव वांण में पहुँचती है। जिसके बाद लाटू देवता अपनी बहन से मिलते हैं और हेमकुंड तक अपनी बहन नंदा को छोड़ने आते हैं। मंदिर के कपाट साल वैशाख माह की पूर्णिमा को खुलते हैं।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार लाटू कनौज के गौड़ ब्राह्मण थे, जो मां नंदा देवी के दर्शन करने के लिए कैलाश पर्वत की यात्रा पर आये। वे जब इस गाँव में पहुंचे तो यहाँ आते आते उन्हें अत्यधिक प्यास लग गयी। उन्होंने गाँव में एक स्त्री से पानी माँगा पर महिला रजुसला थी, जिसके कारण उसने ब्राह्मण से कहा कि हमारे उस कमरे में तीन घड़े हैं, उनमें से एक घड़े में पानी है आप खुद वहां जाकर पानी पी लीजिये, पर ब्राह्मण ने पानी की जगह मदिरा पी लिया। जिसके कारण नशे में वह जमीन पर गिर गए और उनकी जीभ कट गई। खून जमीन पर गिरते ही मां नंदा ने दर्शन दिए और कहा तुम मेरे धर्म भाई हो। और जीभ न होने के कारण ही इन्हें लाटू नाम दिया गया।

 

 

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