दून महिला अस्पताल में जच्चा बच्चा की मौत के बाद स्वास्थ्य महकमा हुआ सख्त, दिए यह निर्देश……

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देहरादून- राजधानी देहरादून में कल दून महिला अस्पताल में इलाज में लापरवाही के कारण हुई जच्चा बच्चा की मौत के मामले को स्वास्थ्य विभाग ने गंभीरता से लिया है। अपर सचिव स्वास्थ्य द्वारा इस मामले में आज स्वास्थ्य महकमें के आलाधिकारियों और अस्पताल के सीएमओ केे साथ की गई बैठक में सख्त निर्देश दिए गए कि महिला के इलाज में लापरवाही बरतने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। आपकों बता दें कि कल राजधानी के दून महिला अस्पताल में भर्ती एक महिला और नवजात बच्चे की मौत हो गयी। खास बात यह है कि महिला के परिजनों ने 15 सितम्बर को उसे अस्पताल मेें भर्ती कराया था। बेड न होने का हवाला देकर यह गर्भवती महिला पांच दिनों तक अस्पताल के बरामदे में फर्श पर पडी रही और बीते कल उसने वहीं बच्चे को जन्म भी दे दिया। अस्पताल प्रशासन की लापरवाही का आलम यह रहा कि प्रसव के समय भी न तो अस्पताल कर्मियों ने महिला कों देखने की जरूरत समझी और न दवा देने की। नतीजतन 27 साल की सुचिता पत्नी सुरेश राणा ने तडप तडप कर दम तोड़ दिया। यही नहीं उसके बच्चे की भी मौत हो गयी। अब अस्पताल प्रशासन तरह तरह की दलीलें देकर अपने बचाव का रास्ता ढूंढ़ रहा है। जबकि महिला के पति सुरेश राणा का कहना है कि डाक्टरों ने अगर समय पर सुचिता को उचित इलाज दिया गया होता तो उसकी मौत नहीं होती। राजधानी दून के सबसे बडे अस्पताल में घटित हुई इस घटना के बाद अस्पताल प्रशासन अपनी लापरवाही पर लीपापोती करने में लगा हुआ है। आज इस बावत अपर सचिव स्वास्थ्य द्वारा डायरेक्टर चिकित्सा स्वास्थ्य व सीएमओ सहित तमाम अधिकारियों के साथ इस घटना के बारे में जानकारी ली गई। उनका कहना है कि पांच दिनों तक महिला को बेड न मिल पाना और फिर उसकी और उसके बच्चे की मौत हो जाना चिंतनीय बात है। जब महिला की स्थिति इतनी गंभीर थी तो उसे बेड और उचित इलाज क्यों नहीं मिल पाया, यह जांच का विषय है। अस्पताल के डाक्टर यह कहकर के महिला को प्रीमेच्योर डिलीवरी हुई थी। मामलेे को रफा दफा नहीं किया जा सकता। इस घटना ने सूबे के स्वास्थ्य महकमे और उसकी कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिये हैं।

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