देहरादून- महाशिवरात्रि का व्रत इस बार 21 फरवरी यानी कल रखा जाएगा। इस बार महाशिवरात्रि के पर्व पर 117 साल बाद ग्रहों का दुर्लभ संयोग बन रहा है। इस योग में भगवान शिव पूजा करने पर गुरु, शुक्र, चंद्रमा एवं शनि के कुंडली में खराब योग से मुक्ति मिलेगी। ज्योतिषार्चायों के अनुसार, महाशिवरात्रि व्रत का धार्मिक महत्व होने के साथ आध्यात्मिक व वैज्ञानिक महत्व भी है। इस वर्ष बने दुर्लभ ग्रह संयोग में किया हुआ जलाभिषेक मानवता के साथ-साथ प्रकृति के संतुलन के लिए भी शुभ रहेगा। अभिषेक का फल अलग-अलग प्राप्त होता है। कुश के जल से असाध्य रोगों में श्रेयस्कर दही से अभिषेक करने पर भूमि एवं भवन का लाभ, वाहन का लाभ, घी से धन वृद्धि, तीर्थ जल से मोक्ष प्राप्ति, इत्र से बीमारी में आराम, दूध से पुत्र प्राप्ति, शक्कर से विद्वता की प्राप्ति, सरसों के तेल से टीबी का इलाज और दूध, मधु, घी, जल, दही और बिल्वपत्र से अभिषेक करने से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।