क्यों मनायी जाती है बैसाखी, इस दिन गंगा स्नान का क्या है महत्व…

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क्या है बैसाखी का महत्व…
सनातन धर्म में बैसाखी का बेहद खास महत्व है । मान्यता है कि आज ही के दिन भगीरथ की कठोर तपस्या के बाद मां गंगा धरती पर उतरीं और उन्होंने भगीरथ के पूर्वज राजा सगर के 60,000 पुत्रों को मोक्ष प्रदान किया। इसलिए आज के दिन गंगा स्नान का खास महत्व है। आज के दिन कई हिंदु श्रद्धालु पाप निवारण की कामना से गंगा में बेहद श्रद्धा से डुबकी लगाते हैं और देवी गंगा की आरती,स्तुति करते हैं।

ज्योतिष के लिहाज़ से क्यों खास है बैसाखी
यह वैशाख सौर मास का प्रथम दिन होता है। बैसाखी वैशाखी का ही अपभ्रंश है।इस दिन गंगा स्नान का बहुत महत्व है। हरिद्वार और ऋषिकेश में बैसाखी पर्व पर भारी मेला लगता है। बैसाखी के दिन सूर्य मेष राशि में संक्रमण करता है । इस कारण इस दिन को मेष संक्रांति भी कहते है। बैसाखी पारम्परिक रूप से हर साल 13 या 14 अप्रैल को मनाया जाता है। यह त्योहार हिन्दुओं, बौद्ध और सिखों के लिए महत्वपूर्ण है। वैशाख के पहले दिन पूरे भारत के अलग अलग क्षेत्रों(राज्यों) में बहुत से नव वर्ष के त्यौहार जैसे जुड़ शीतल, पोहेला बोशाख, बोहाग,बिहु,विशु,पुथंडु मनाए जाते हैं।

पंजाब में धूम धाम से मनायी जाती है बैसाखी….
वैसाखी पंजाब के लोगों के लिए फसल कटाई का त्योहार है। पंजाब में, वैसाखी रबी फसल के पकने का प्रतीक है। इस दिन किसानों द्वारा एक धन्यवाद दिवस के रूप में मनाया जाता है, जिससे किसान, प्रचुर मात्रा में उपजी फसल के लिए ईश्वर का धन्यवाद करते हैं और भविष्य की समृद्धि के लिए भी प्रार्थना करते हैं। सिखों और पंजाबी हिंदुओं द्वारा फसल त्योहार मनाया जाता है।

गुरू तेगबहादुर के बलिदान का प्रतीक है बैसाखी
वैसाखी सिख समुदाय द्वारा मनाया जाता है। प्रत्येक सिख वैसाखी त्योहार, सिख आदेश के जन्म का स्मरण है, जो नौवे गुरू तेगबहादुर के बाद शुरू हुआ और जब उन्होंने धार्मिक स्वतंत्रता के लिए खड़े होकर इस्लाम में धर्मपरिवर्तन के लिए इनकार कर दिया था,तब बाद में मुगल सम्राट औरंगजेब के आदेश के तहत उनका शिरच्छेद कर दिया गया। गुरु की शहीदी ने सिख धर्म के दसवें और अंतिम गुरु के राज्याभिषेक और खालसा के संत-सिपाही समूह का गठन किया, दोनों वैसाखी दिन पर शुरू हुए थे।

कुंभ में बैसाखी के स्नान के लिए जुट रही श्रद्धालुओं की भीड़
बहरहाल आज बैसाखी का दिन है और इस दिन गंगा स्नान का खास महत्व है और इन दिनों मयानगरी भी हरिद्वार के रंग में रंगी है आज के दिन साधू-संतों समेत दूर दूर से आए श्रद्धालु गंगा में आस्था की डुबकी लगा रहे हैं।

 

 

 

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